भारतीय सेना सीमा पर चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। सीमा की रक्षा के लिए सेना के 20 योद्धाओं ने चीनी सैनिकों को मारते-मारते वीरगति को अंगीकार कर लिया। वह चीन अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम को अपना हमदम दिख रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए चीन से मदद की बात कही है।
जम्मू-कश्मीर से 370 और 35-ए हटने के बाद हाशिये पर रहे फारूक अब्दुल्ला अब फिर कश्मीरियों का नाम लेकर बयानबाजी करने लगे हैं। इस बार फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 की बहाली चीन की मदद से हो सकती है। फारूक अब्दुल्ला इसके पहले अपनी पाकिस्तानी सरपरस्ती पर भी बयानबाजी करते रहे हैं।
जोड़-तोड़ और गठजोड़ सत्ता के लिए सबकुछ
दरअसल, कश्मीरी नेता देश से 420सी (देश विरोधी) के बयान के जरिये अपने आपको राज्य की मुख्यधारा में बनाए रखना चाहते हैं। वे इसके लिए जनता को भावनात्मक रूप से सुलगता रखना चाहते हैं।
कब की थी बयानबाजी?
बता दें कि फारूक अब्दुल्ला लगातार कहते आ रहे हैं कि वो अनुच्छेद 370 और 35-ए की फिर से बहाली और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीते सोमवार को नेशनल कांन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में शांति, विकास और आर्थिक प्रगति का उद्देश्य तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक केंद्र सरकार पिछले साल 5 अगस्त को लिए गए अपने सभी फैसलों को वापस नहीं ले लेती। श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद अब्दुल्ला ने यहां एक निजी कार्यक्रम में यह टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा है कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में विकास संबंधी परिस्थितियां बेहद निराश करने वाली हैं।
इससे पहले संसद के मॉनसून सत्र के दौरान भी फारूक ने जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की थी।
क्या है कहानी?
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा की थी। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। इस पर सोमवार को अब्दुल्ला ने कहा, ‘वास्तविक अर्थों में जम्मू-कश्मीर में समावेशी विकास का लक्ष्य यहां के लोगों को सशक्त बनाकर और 5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसलों को वापस लेकर ही हासिल किया जा सकता है।’