Uttar Pradesh: सीएम योगी ने की राज्यपाल से मुलाकात, भेंट की स्वातंत्र्यवीर सावरकर लिखित पुस्तक ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’

यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राजभवन में मुलाकात की है। इस अवसर पर उन्होंने 'स्वातंत्र्यवीर' विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक 'छह स्वर्णिम पृष्ठ' भेंट की।

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Uttar Pradesh की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राजभवन में मुलाकात की है। इस अवसर पर उन्होंने ‘स्वातंत्र्यवीर’ विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ भेंट की।

मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्‍ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास पर विहंगम दृष्‍टि डाली है। विद्वानों में सावरकर लिखित इतिहास जितना प्रामाणिक और निष्पक्ष माना गया है, उतना अन्य लेखकों का नहीं।

प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्‍ठ’ में हिंदू राष्‍ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्‍ठ है- यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्‍त की राजमुद्रा से अंकित पृष्‍ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्‍ठ, भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्‍ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्‍ठ, इतिहास का स्वर्णिम पृष्‍ठ है।

राज्यपाल से मुलाकात महत्वपूर्ण
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उत्तर प्रदेश इकाई में कुछ बड़े बदलाव किए जाने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हाल के लोकसभा चुनावों में अपने खराब प्रदर्शन के लिए जवाबदेही को लेकर भाजपा बंटी हुई है। उत्तर प्रदेश में दो शीर्ष नेताओं- सीएम आदित्यनाथ और डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य के बीच खुलकर मतभेद देखने को मिल रहे हैं।

केशव मौर्य ने की शाह और नड्डा से मुलाकात
गौरतलब है कि मौर्य ने 16 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की।

लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान
इस साल के लोकसभा चुनावों में भाजपा की सीटें 2019 में 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर आ गई हैं। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा है कि “अति आत्मविश्वास” और गठबंधन सहयोगियों द्वारा अपने-अपने समुदायों के मतदाताओं को जीतने में असमर्थता सामूहिक रूप से नुकसान के लिए जिम्मेदार है, जबकि मौर्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर जवाबदेही थोपने की कोशिश की। मौर्य ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में कहा, “भाजपा कार्यकर्ताओं और मेरा दर्द एक जैसा है। संगठन सरकार से बड़ा है। संगठन से बड़ा कोई नहीं है।” यह बैठक भाजपा के भीतर चुनावों में राज्य में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए चल रही लंबी समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा थी।

सीएम योगी की कार्यशैली का विरोधउल्लेखनीय है कि मौर्य ने कैबिनेट की कुछ महत्वपूर्ण बैठकों में भी हिस्सा नहीं लिया, जिसे मुख्यमंत्री की कार्यशैली के विरोध के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा नेताओं के एक वर्ग के साथ-साथ गठबंधन सहयोगियों ने भी यह सुझाव देने की कोशिश की है कि आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के मुकाबले अधिकारियों को प्रमुखता दी है। उनका दावा है कि इससे न केवल सत्तारूढ़ गठबंधन बल्कि सरकार और लोगों में भी अलगाव की भावना पैदा हुई है।

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संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े बदलाव की संभावना
इस बीच, आम चुनावों में पार्टी को मिली करारी हार के बाद राज्य में संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े बदलाव होने की संभावना है। जाट समुदाय से आने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी की जगह पार्टी के किसी ओबीसी चेहरे को इस पद पर बिठाया जा सकता है। इस कदम को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा मतभेदों को दूर करने और 2027 में राज्य में होने वाले उपचुनावों और उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एकजुट चेहरा पेश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

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