अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगल पर एक नया इतिहास रचा है। नासा का हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी धरती के बाहर उड़ान भरने वाला पहला कंट्रोल्ड, पावर्ड फ्लाइट है। भारतीय समयानुसार लगभग 4 बजे इंजीन्यूटी ने उड़ान भरी थी।
नासा ने अपने मार्स पर्सिवरेंस रोटर के नीचले हिस्से में फिट करके इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर को मंगल पर भेजा था। इसे 5 अप्रैल को मंगल की सतह पर उतारा गया था। इसने अपनी पहली प्रायोगिक उड़ान 19 अप्रैल भरी।
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इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर का भार 1.8 किलोग्राम है। इसे पर्सिवरेंस रोटर ने सतह से चार इंच ऊपर छोड़ा था। इसके बाद यह नया मशीनी पक्षी तकनीकी और शोध की नई परिभाषाओं को गढ़ने के लिए पंख फड़फड़ाने का तैयार था।
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इसकी विशेषता
- इंजीन्यूटी सौर ऊर्जा से चार्ज होनेवाली बैटरी से संचालित
- इसके पंखों पर लगे हैं सौर पैनल
- ये पैनल सौर ऊर्जा से जितने गर्म होंगे उसी क्रम में बैटरी होगी चार्ज
- बाहरी गर्मी से ही हेलिकॉप्टर के अंदर का तापमान सामान्य बना रहेगा, मंगल पर दिन का तापमान 7.22 डिग्री सेल्सियस, रात में तापमान माइनस 90 डिग्री सेल्सियस
- पहले इंजिन्यूटी की उड़ान 11 अप्रैल को थी
- तकनीकी दिक्कत के कारण टाल दी गई उड़ान
- उड़ान के दूसरे दिन धरती पर मिलता है डेटा
- इस पर नासा ने किये हैं 623 करोड़ रुपए खर्च
- इसके पंखे प्रति मिनट 2,537 बार हैं घूमते
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ऐसे करेगा कार्य
- नासा के अनुसार यदि वातावरण ठीक रहा तो जेजेरो क्रेटर पर भी इंजीन्यूटी उड़ान भरेगा
- इसकी उड़ान 31 दिन (मंगल ग्रह के अनुसार) तक चलेंगी
- इसकी उड़ान 16.5 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक होगी
- एक बार में 300 फीट की दूरी तय करेगा
- इंजीन्यूटी की उड़ान पूरी होने के बाद पर्सिवरेंस रोवर अपने उद्देश्य पर कार्य करेगा
इसका उद्देश्य
- यह मंगल पर प्राचीन जीवन के संकेत का पता करेगा
- अलग-अलग सैंपल एकत्रित करेगा
- पर्सिवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी मंगल ग्रह पर कार्बन डाईआक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का करेंगे काम
- मंगल ग्रह के मौसम का करेंगे अध्ययन
- मंगल ग्रह मानव के रहने लायक है या नहीं इसका करेंगे पता
- मंगल ग्रह के तापमान, धूल, वायुदाब, विकिरण का करेगा अध्ययन
भारतीय मूल की छात्रा ने दिया नाम
- इंजीन्यूटी नाम भारतीय मूल की एक छात्रा ने दिया
- इसका अर्थ आविष्कारी चरित्र
- छात्रा का नाम वनीजा रूपाणी, अलबामा नॉर्थ पोर्ट में है पढ़ती
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