Trump Assassination: ट्रंप पर हमला और राहुल गांधी कनेक्‍शन! जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल

ट्रंप खुशकिस्‍मत हैं, जो बच गए।लोकतांत्रिक देश अमेरिका की तरह ही भारत में भी राजनीतिक हिंसा का इतिहास पुराना है।

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Trump Assassination: अमेरिका (America) में सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों को निशाना बनाकर राजनीतिक हिंसा (Political Violence) का इतिहास पुराना है। अब तक चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हत्या (Assassination of American Presidents) हो चुकी है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति (Former US President) डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) जब पेसिंलवेनिया (Pennsylvania) में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे, तभी कम से कम पांच राउंड गोलियां चलीं। भीड़ के शोर के बीच ट्रंप अपना दाहिना कान ढंकते हुए जमीन पर लेट गए। फिर कुछ मिनट बाद सुरक्षाकर्मियों की घेराबंदी में ट्रंप खड़े हुए तो उनके दाहिने गाल पर खून की धार बहती दिख रही थी।

ट्रंप खुशकिस्‍मत हैं, जो बच गए।लोकतांत्रिक देश अमेरिका की तरह ही भारत में भी राजनीतिक हिंसा का इतिहास पुराना है। भारत ने भी समय-समय पर राजनीतिक हिंसा के शिकार हुए अनेक श्रेष्‍ठ, योग्‍य और अनुभवी लोगों को खोया है। भारत को स्‍वाधीन हुए अभी छह महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या ने दुनिया को हिला दिया था। इस एक हत्‍या के बाद जैसे भारत में भूचाल आ गया, उसके बाद कई लोग राजनीतिक रूप से शिकार बनाए गए। जिसकी की सूची बहुत लम्‍बी है। लाल बहादुर शास्त्री की संदेशात्मक मौत के साथ ही इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या इस सूची में शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी- राहुल गांधी कनेक्‍शन
हत्‍याओं के साथ ही देश में कई चर्चित राजनीतिक हत्‍याएं होना समय-समय पर सामने आता रहा है, किंतु बात यहां जो शुरू हुई है, ट्रंप पर हुए हमले के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी- नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के कनेक्‍शन की, तो इस बात की गंभीरता ऊपर वर्णित राजनीतिक हत्‍याओं और उसके लिए उकसानेवाले कारणों में खोजा जाना वर्तमान में अति आवश्‍यक हो गया है। वस्‍तुत: यह खोज हर उस स्‍तर पर आवश्‍यक है, आखिर कैसे देश के सर्वोच्च पद पर बैठे किसी व्‍यक्‍ति की सुरक्षा में चूक की जा सकती है। सभी को वह दृश्य याद आता है, जिसके कि फुटेज तक मीडिया ने दिखाए कि किस तरह से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा को पंजाब में हल्‍के में लिया गया था । आखिर क्‍यों राहुल गांधी जो स्‍वयं आज एक जिम्‍मेदार पद पर बैठे हैं, वे प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आम जनता को हिंसा करने के लिए बार-बार उकसा रहे हैं।

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अनहोनी होने पर कौन जिम्मेदार
ऐसे में उनसे यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि यदि कोई अनहोनी होती है, तो क्‍या वे इसकी जिम्‍मेदारी स्‍वयं लेंगे? वस्‍तुत: भारतीय जनता पार्टी के सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्रंप पर हमले की गांधी द्वारा निंदा किए जाने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए सभी का ध्‍यान इस ओर दिलाया है, यह अच्‍छी बात है कि मालवीय ने इस मामले में सभी को पहले से ही आगाह किया है, यहां इनके कहे शब्‍दों की गंभीरता अब हम सभी को समझनी होगी। उन्होंने कहा, “तीसरी बार फेल हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हिंसा को अक्सर प्रोत्साहित किया है और उन्हें जायज ठहराया है। भारत कैसे भूल सकता है कि कांग्रेस के नेतृत्व में पंजाब पुलिस ने जानबूझकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया था, जब उनका काफिला एक फ्लाईओवर पर फंसा हुआ था।”

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बाइडेन के नक्शे कदम पर राहुल गांधी
अमित मालवीय ने राहुल गांधी के पूर्व के कुछ बयानों को जोड़कर तैयार किए गए एक वीडियो को साझा करते हुए यह भी बताया है कि राहुल गांधी ने मोदी के खिलाफ ‘तानाशाह’ जैसी बयानबाजी की है और ट्रंप के आलोचक डेमोक्रेट नेता और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी यही करते हैं। यानी कि जब नेता आम जनता को हिंसा के लिए उकसाते हैं, तो उसकी परिणति इसी प्रकार ट्रंप पर हुए हमले के रूप में होती है या भारत समेत दुनिया के किसी भी हिस्‍से में हुई राजनीतिक हत्‍या और हिंसा के रूप में सामने आती है। अमेरिका में भी आज यही सामने आ रहा है कि हत्या के प्रयास के बाद ट्रंप के कई समर्थकों ने यह महसूस किया है और वे यह खुलकर बोल भी रहे हैं कि उन (ट्रंप) के प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उन्हें (ट्रम्प को) बदनाम किए जाने से उनके खिलाफ नफरत का माहौल पैदा हो गया है और यह नफरती माहौल पैदा किया जा रहा है, जिसका कि परिणाम गोलीबारी के रूप में अभी सब के सामने आया है। ट्रंप के विरोधियों (आलोचकों) ने तर्क दिया है कि लोकतंत्र (ट्रंप की वजह से) खतरे में है। यही भारत में आज प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ होता हुआ दिखाई देता है, यहां भी विपक्ष मोदी के खिलाफ ‘संविधान खतरे में है’ का नारा लगाकर एक झूठा नैरेटिव गढ़ने में लगा है, जिसके कि राहुल गांधी अगुवा हैं।

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विरोधियों को तानाशाह कहना संयोग नहीं
अमित मालवीय के शब्‍दों में कहें तो “अमेरिका में नस्ल की तरह जाति को भारतीय समाज में दरार पैदा करने के लिए हथियार बनाया गया। विरोधियों को खलनायक की तरह पेश करना और उन्हें तानाशाह कहना भी संयोग नहीं है। वास्तव में, खतरनाक विचार वालों की टोली ने पहली बार लोकतांत्रिक रूप से चुने गए विश्व के शक्तिशाली नेताओं का वर्णन करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया, जिन्हें वह नियंत्रित करने में विफल रहे (राजनीतिक रूप से)।” राहुल गांधी ने भारत के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप की मांग की थी। इसी प्रकार की अनेक झूठी बातें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ इंडी गठबंधन ने गढ़ी हैं। कहना होगा कि वर्तमान की वास्‍तविकता यही है कि भारतीय लोकतंत्र वैश्विक वाम दलों के हमले से बच गया और मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए वापस आ गए, लेकिन चिंताएं अभी कम नहीं हुई हैं। आज राहुल गांधी जिस तरह से देश की जनता को झूठ बोलकर गुमराह कर रहे हैं और उनकी देखादेखी अन्‍य नेता भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर देश भर में भ्रम, झूठ और नफरत का माहौल खड़ा कर रहे हैं, यदि भविष्‍य में कुछ अनहोनी अमेरिका की तरह होती है तो उसके लिए आखिर जिम्‍मेदार किसे माना जाएगा? अब सोचना यह है कि आखिर राहुल गांधी की नफरत भरी राजनीति देश को किस ओर ले जा रही है? क्‍या ये नकारात्‍मकता देश के लिए सही है?

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