Budget 2024-25: जीएसटी के शानदार सात साल, उत्सव मनाने के लिए बहुत कुछ

विशेष रूप से धन वापसी (रिफंड) के साथ डेटा की उपलब्धता की कमी तथा जीएसटी परिषद के कामकाज पर भी कुछ चिंताएं व्यक्त की गई हैं। आइए राजस्व प्रदर्शन से शुरू करते हुए इनमें से प्रत्येक बिंदु पर गहराई से विचार करें।

117

देवी प्रसाद मिश्रा

Budget 2024-25: सात एक विशेष संख्या है। चाहे गणित (अभाज्य संख्याएं और संख्या सिद्धांत), संगीत (सात संगीतमय स्वर), खगोल विज्ञान (चंद्र चरण में दिन) या पौराणिक कथा (सप्त चक्र, सप्त समुद्र या सप्त ऋषि) हो, सात का चक्र हमारे चारों ओर निरंतर मौजूद है।

इसलिए यह प्रयास उचित है कि इस महीने वस्तु एवं सेवा कर9Goods and Services Tax) (जीएसटी) के सात साल पूरे होने पर, हम इस बात की जांच करने के लिए कुछ समय निकालें कि स्वतंत्रता के बाद के सबसे बड़े कर सुधार, जीएसटी, जिसे 1 जुलाई, 2017 की मध्य-रात्रि को लागू किया गया था, का प्रदर्शन कैसा रहा है। तब से, जीएसटी ने बड़े पैमाने पर अकादमिक ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। अनुपालन के सरलीकरण, लॉजिस्टिक्स में सुधार से लेकर मजबूत राजस्व संग्रह तक के प्रत्येक आयाम की विस्तार से जांच की गई है।

यह भी पढ़ें- Robot Tax : बजट में हो सकता है रोबोट टैक्स का प्रावधान!

सकल राजस्व संग्रह में तेज वृद्धि दर्ज
जीएसटी के विषय से जुड़े कई दृष्टिकोणों में से एक है- जीएसटी के राजस्व प्रदर्शन पर हाल में हुई चर्चा, जो अन्य बातों के साथ-साथ यह दर्शाती है कि सकल राजस्व संग्रह में तेज वृद्धि दर्ज की जा रही है, लेकिन इस वृद्धि के अनुरूप शुद्ध राजस्व नहीं बढ़ा है। शुद्ध राजस्व हाल ही में जीएसटी-पूर्व स्तरों पर पहुंच पाया है। शुद्ध संग्रह में इस गिरावट को कुछ चिंता के साथ देखा जा रहा है। इसके अलावा, विशेष रूप से धन वापसी (रिफंड) के साथ डेटा की उपलब्धता की कमी तथा जीएसटी परिषद के कामकाज पर भी कुछ चिंताएं व्यक्त की गई हैं। आइए राजस्व प्रदर्शन से शुरू करते हुए इनमें से प्रत्येक बिंदु पर गहराई से विचार करें।

यह भी पढ़ें- Bangladesh Violence: छात्र विरोध के बाद शीर्ष अदालत का बड़ा फैसला, क्या रुक जाएगा हिंसक प्रदर्शन?

खुशी की बात
खुशी की बात है कि शुद्ध राजस्व संग्रह लगातार बढ़ रहा है और जीएसटी लागू होने के बाद इसकी वृद्धि की गति बढ़ी है। दूसरा, जीएसटी शुरू होने के बाद की अवधि में शुद्ध राजस्व की वर्ष-दर-वर्ष आधार पर होने वाली वृद्धि (जीएसटी के शुरू होने से पहले की अवधि में 11.81 प्रतिशत की तुलना में) औसतन 12.76 प्रतिशत रही। यह उपलब्धि महामारी के बाहरी झटके के बावजूद है। तीसरा, हम यह देख सकते हैं कि शुद्ध राजस्व वृद्धि ने लगातार सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। यह नई कर व्यवस्था की प्रणालीगत दक्षताओं को दर्शाता है।
दुनिया में सबसे कम दरें

यह भी पढ़ें- Budget 2024-25: मोदी 3.0 अपना पहला बजट पेश करने के लिए तैयार, जानिए इसके पीछे की प्रक्रिया

प्रभावी दर 14.4 प्रतिशत
राजस्व संग्रह कर दरों का एक फलन होता है। यहां संदर्भ के लिए, हम इस तथ्य को याद कर सकते हैं कि कर संग्रह संबंधी दक्षता में सुधार के साथ-साथ कर दरों में उल्लेखनीय कमी आई थी। जीएसटी की शुरुआत से पहले, जीएसटी के लिए राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) से संबंधित समिति ने 15-15.5 प्रतिशत की दर की सिफारिश की थी। इसके ठीक उलट जीएसटी की शुरुआत के समय इसकी प्रभावी दर 14.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था। बाद में सितंबर 2019 में इसे घटाकर 11.6 प्रतिशत कर दिया गया और मार्च, 20238 में यह 12.2 प्रतिशत हो गया। राजस्व के संदर्भ में, इसे अर्थव्यवस्था के लिए पिछले साल ही 4.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत (प्रोत्साहन) के रूप में निरूपित किया जा सकता है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की तुलना में भारत की जीएसटी दरें दुनिया में सबसे कम हैं।

यह भी पढ़ें- Mumbai Rain: मुंबई में भारी बारिश जारी, सड़कों और रेलवे ट्रैक पर जलभराव, परिवहन सेवाएं बाधित

बढ़ती अर्थव्यवस्था का प्रतीक
एक उठता हुआ ज्वार सभी नावों को ऊपर उठा देता है। राजस्व में वृद्धि एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का स्वाभाविक परिणाम होता है, हालांकि सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली वृद्धि के ऊपर राजस्व संग्रह में होने वाली वृद्धि (या उछाल) एक कर प्रणाली की प्रणालीगत दक्षता की असली परीक्षा होती है। इस मामले में, जीएसटी की शुरुआत के बाद से पहले पांच वर्षों के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद (मौजूदा कीमतों पर) के मुकाबले शुद्ध राजस्व उछाल 1.02 था, जबकि जीएसटी के बाद के सात वर्षों के दौरान यह 1.28 था। यह जीएसटी द्वारा संभव बनाई गई संग्रह संबंधी क्षमता का एक प्रमाण है।

यह भी पढ़ें- Mumbai: मूसलाधार बारिश को देखते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने दिए आदेश, जानें क्या कहा

2024 की स्थिति
निस्संदेह, मासिक आधार पर जारी किए गए राजस्व के आंकड़ों में आमतौर पर सकल संग्रह के आंकड़े शामिल होते हैं। शुद्ध आंकड़े केवल फरवरी, 2024 से प्रकाशित किए गए हैं। हालांकि, जीएसटी की शुरुआत के बाद से प्रत्येक वर्ष की वार्षिक सांख्यिकीय रिपोर्ट प्रकाशित की गई है और सार्वजनिक रूप से रखी गई है। इन रिपोर्टों में निर्यात के कारण किए जाने वाले जीएसटी रिफंड से संबंधित महीने-वार विवरण शामिल हैं। इसलिए रिफंड संबंधी आंकड़ों की सार्वजनिक दृश्यता, थोड़े अंतराल पर ही सही, बनी हुई है।

यह भी पढ़ें- Alwar: गोंडा-अमरोहा के बाद अलवर में मालगाड़ी डिरेल, 3 डिब्बे पटरी से उतरे

कई जटिल मुद्दों पर विचार
हम, बिना किसी आधार के, इस दावे की जांच करने के लिए आगे बढ़ते हैं कि जीएसटी परिषद में केन्द्र का “प्रभुत्व” है। जीएसटी की शुरुआत के साथ, केन्द्र और राज्यों ने नए कर के प्रशासन से संबंधित मामलों में, खासतौर पर नीति निर्माण, दरों के निर्धारण, कानूनों/नियमों का मसौदा तैयार करने, अनुपालनों के समन्वय आदि जैसे क्षेत्रों में अपनी संप्रभुता को एकाकार किया। कभी-कभी इसे राज्यों की शक्तियों पर प्रतिबंध के रूप में उद्धृत किया जाता है। हालांकि, यह केन्द्र सरकार के लिए भी समान रूप से एक “प्रतिबंध” है। जीएसटी परिषद ने अपनी समितियों के समर्थन से कई जटिल मुद्दों पर विचार किया है और वह कई ऐसी सिफारिशें लेकर आगे आई है, जिससे कानून के प्रशासन में एकरूपता और दरों की संरचना में स्थिरता आई है।

यह भी पढ़ें- Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर में भीषण सड़क हादसा, राजौरी में अनियंत्रित कार सड़क किनारे खेतों में पलटी

सहकारी संघवाद की भावना का प्रमाण
यह सहकारी संघवाद की भावना का एक प्रमाण है। जीएसटी परिषद के सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं। इसके अलावा, अनुपालनों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सभी त्रुटियों को दूर करने या छूट को तर्कसंगत बनाने के परिषद के सभी निर्णयों से केन्द्र और राज्यों को समान रूप से लाभ पहुंचा है।

यह भी पढ़ें- Bangladesh: कर्फ्यू के बावजूद नहीं रुक रही हिंसा, आरक्षण विरोधी आंदोलन में अब तक 114 लोगों की मौत

तीन महत्वपूर्ण बिंदू
उपरोक्त चर्चा से, तीन बिंदु उभर कर सामने आते हैं- सबसे पहले जीएसटी की संग्रह संबंधी क्षमताएं स्पष्ट, सुसंगत एवं प्रारंभिक हैं और मुख्य रूप से अंतर्जात कारकों के कारण हैं। यही बात रिफंड के शुद्ध राजस्व संग्रह को देखने के समय भी लागू होती है। तीसरा, जीएसटी ने अपेक्षाकृत कम कर दरों और बाहरी झटकों के बावजूद राजस्व में लगातार वृद्धि की है। जैसे-जैसे जीएसटी अपने प्रगति के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए दर संरचना का सरलीकरण, जीएसटी के दायरे से बाहर रह गई वस्तुओं को शामिल करना और साथ ही एक कुशल अपीलीय तंत्र जैसे प्रशासनिक मुद्दे। हालांकि अब जबकि जीएसटी के सात वर्ष पूरे हो गए हैं, उत्सव मनाने के लिए काफी कुछ है।

यह वीडियो भी देखें-

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.