Kashi: सावन के पहले सोमवार पर शिवमय हुई काशी नगरी, जानिये बाबा विश्वनाथ के दरबार में कितने भक्तों ने लगाई हाजरी

22 जुलाई को काशी केसरिया रंग में रंगी हुई दिखाई दी। बाबा के जलाभिषेक के लिए महादेव के भक्त रविवार रात से ही काशी में जुटने लगे थे।

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Kashi: श्रावण मास के पहले दिन 22 जुलाई को नव्य-भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान रात आठ बजे तक 2 लाख 69 हजार 309 श्रद्धालु बाबा के चरणों में श्रद्धा का जल चढ़ा चुके थे।

हर हर महादेव की जयकार
मंगला आरती के बाद मंदिर का कपाट खुलने के साथ ही काशी हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठी। शिवभक्तों के स्वागत के लिए एक तरफ जहां रेड कॉरपेट बिछाया गया था तो वहीं, दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों ने भोले के भक्तों पर पुष्प वर्षा की। बाबा के दर्शन के लिए रविवार रात से ही भक्तों की क़तार लग गई थी। सोमवार दोपहर बाद हुई बारिश ने भी बाबा को अपनी श्रद्धा निवेदित की। श्रावण मास के पहले सोमवार को अपरान्ह दो बजे तक 1 लाख 80 हजार 056 और शाम शाम 6 बजे तक 2 लाख 43 हजार 790 श्रद्धालु राजराजेश्वर काशी पुराधिपति के दरबार में शीश नवा चुके थे। आस्था के जनसैलाब को देखते होते योगी सरकार के निर्देश पर काशी विश्वनाथ धाम में सुविधा के साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किये गए थे।

जलाभिषेक के लिए देर रात ही काशी पहुंचे बाबा के भक्त
22 जुलाई को काशी केसरिया रंग में रंगी हुई दिखाई दी। बाबा के जलाभिषेक के लिए महादेव के भक्त रविवार रात से ही काशी में जुटने लगे थे। बाबा का कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुला तो आस्था में डूबे भक्त बाबा के चौखट तक पहुंचे और शीश झुकाकर बाबा पर जल चढ़ाया। पूरी काशी हर-हर महादेव और बोल बम के जयघोष से गूंज उठी। सावन के पहले सोमवार को बाबा के चल प्रतिमा के स्वरुप का श्रृंगार हुआ ,भक्त बाबा विश्वनाथ के इस स्वरुप का दर्शन करके निहाल हुए। हर साल की तरह इस बार भी यादव बंधुओं ने गगरे में जल लेकर बाबा को जल चढ़ाकर परंपरा निभाई। बाबा विश्वनाथ के दरबार के अलावा काशी के सभी शिवालयों में नीलकंठ के भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।

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बाबा विश्वनाथ का इंद्रदेव ने भी किया जलाभिषेक
इंद्रदेव ने भी बाबा विश्वनाथ के प्रति श्रद्धा निवेदित की। दोपहर बाद वाराणसी में हल्की बारिश हुई। मौसम का मिज़ाज़ बदलने के बाद कतार में लगे बाबा के भक्तों को काफी राहत मिली। वाराणसी में कई दिनों से उमस भरी गर्मी से लोग बेहाल थे। धूप से बचनेके लिए लगे जर्मन हैंगर और शेड पानी से भी बचाव के काम आया। वहीं बारिश से तपिश कम हुई और मौसम खुशनुमा हो गया।

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