Lunar eclipse: बुधवार यानि 24 जुलाई को लगभग रात्रि 9 बजकर 30 मिनिट पर चंद्रमा पूर्व में उदित होकर जब आगे बढ़ेगा तो मध्यरात्रि को 11 बजकर 57 मिनिट पर वह रिंग वाले सौरमंडल के छटवें ग्रह शनि को अपने आगोश में ले लेगा । चंद्रमा , शनि और पृथ्वी के बीच में आकर पृथ्वी के एक सीमित भू-भाग से शनिदर्शन में बाधक बनेगा । शनि और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आकर ग्रहण की स्थिति बनायेगा।
विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी जानकारी
दरअसल, यह कहना है, नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू का। उन्होंने बताया कि इसे शनि का चंद्रग्रहण कहा जा रहा है, जबकि यह खगोलविज्ञान में लुनार आकल्टेशन ऑफ सेटर्न कहलाता है । यह घटना 24 जुलाई को विश्वस्तर पर मध्यरात्रि 11 बजकर 57 मिनिट से आरंभ होकर रात्रि 3 बजकर 57 मिनिट पर समाप्त होगी । सारिका की वैज्ञानिक गणना कहती है कि भारत में इसे मध्यरात्रि 12 बजकर 50 मिनिट से 3 बजकर 10 मिनिट तक अलग -अलग स्थानों में देखा जा सकेगा । दिल्ली सहित भारत के उत्तरी पश्चिमी राज्यों में यह नहीं दिखाई देगा लेकिन मध्यप्रदेश सहित दक्षिणी एवं पूर्वी भारत में देखा जा सकेगा।
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18 साल बाद घटेगी खगोलीय घटना
उन्होंने बताया कि इसके पहले भारत में इस घटना को दो फरवरी 2007 को देखा गया था । इस तरह लगभग 18 साल बाद भारत में इसे देखा जा सकेगा । इस समय चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 364994 किमी होगा तो शनि की पृथ्वी से दूरी लगभग 134 करोड़ किमी होगी । दूरी में इतना अंतर होते हुये भी आकाश में इनकी स्थिति इस प्रकार होगी कि पृथ्वी के एक निश्चित भू-भाग से देखने पर चंद्रमा, शनि ग्रह को ढ़कता सा नजर आयेगा ।