ऑक्सीजन और दवाओं की कमी पर सर्वोच्च दखल!

सर्वोच्च न्यायालय ने अस्पतालों में ऑक्सीजन के साथ ही अन्य दवाओं और सुविधाओं के अभाव को लेकर केद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।

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देश भर में कोरान संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। अस्पतालों में कहीं ऑक्सीजन की कमी है, तो कहीं इंजेक्शन और अन्य जीवन रक्षक दवाओं की कमी देखी जा रही है। इस कारण देश में हाहाकार मचा हुआ है। अब इसमें देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दखल दी है। न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

सर्वोच्च न्यायालय के इस नोटिस में पूछा गया है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार की क्या योजना है। देश के कई उच्च न्यायालयों ने इस मामले में राज्य सरकारों को फटकार लगाई है। इसे देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अपना रुख कड़ा कर दिया है।

इन मुद्दों पर मांगा जवाब
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति को लेकर जवाब मांगा है। न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह कोरोना संकट से लड़ने के लिए अपनी राष्ट्रीय स्तर की योजना बताए।  न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि सरकार ऑक्सीजन सप्लाई, जरुरी दवाओं की सप्लाई, टीकाकरण की प्रक्रिया और लॉकडाउन लागू करने के अधिकार को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करे।

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भ्रम की स्थिति
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस दौरान यह भी कहा कि वर्तमान समय में देश में छह उच्च न्यायालयों में कोरोना से जुड़े मामलो की सुनवाई हो रही है। इसमें दिल्ली, मुंबई, सिक्किम, कोलकाता और इलाहाबाद शामिल है। जस्टिस बोबडे ने कहा कि इतने उच्च न्यायालयों में सुनवाई चलने के कारण भ्रम पैदा हो रहा है।

23 अप्रैल को अगली सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय इस मामले मे अगली सुनवाई 23 अप्रैल को करेगा। न्यायालय ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है।

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