Bangladesh crisis: बांग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार बांग्लादेश मुद्दे पर केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करेगी। उन्होंने राज्य के मंत्रियों को भी इस मामले पर बयान देने से मना किया है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और उनके निवास ‘गणभवन’ में विजय जुलूस निकाला गया है। सड़कों पर जनता का उल्लास देखा जा रहा है।
जो केंद्र कहेगा, वही राज्य करेगाः ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में 5 अगस्त को बांग्लादेश के हालात पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “शांत रहें। उकसाने वाले बयान न दें। बांग्लादेश के मामले में केंद्र जो कहेगा, वही राज्य करेगा।”
बांग्लादेश को लेकर चिंता
ममता ने बताया कि उन्हें विधानसभा में ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के इस्तीफे और दिल्ली रवाना होने की खबर मिली। इसके बाद उन्होंने मुख्य सचिव बीपी गोपालिका और राज्य पुलिस के डीजी राजीव कुमार के साथ चर्चा की। चर्चा के बाद पत्रकारों से बातचीत में ममता ने कहा, “देश की जो सरकार है, उस पर छोड़ दें। आप खुद ऐसे बयान न दें, जिससे हिंसा या विरोध हो। हम सभी बांग्लादेश की स्थिति से चिंतित हैं, लेकिन ऐसी कोई बात न कहें जिससे बंगाल या भारत की शांति भंग हो। मैं सभी से यह अनुरोध करती हूं, विशेष रूप से भाजपा नेताओं से, क्योंकि आपने पहले ही कुछ ऐसा पोस्ट किया है जो नहीं किया जाना चाहिए। मैं अपने नेताओं से भी कह रही हूं कि कोई भी पोस्ट न करें।”
सूत्रों के अनुसार, ममता ने कैबिनेट बैठक में भी यही निर्देश दिए। उन्होंने मंत्रियों को बांग्लादेश की स्थिति पर कोई टिप्पणी करने से मना किया।
शांत रहने की अपील
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम विस्तृत जानकारी नहीं जानते। इसलिए मैं सभी को शांत रहने की अपील करती हूं। कोई भी उत्तेजना न फैलाए और न ही उसमें शामिल हो। यह दो राष्ट्रों के बीच का मामला है। यह विदेश मंत्रालय के अधीन है। भारत सरकार नजर रख रही है, वे जो कहेंगे, हम वही करेंगे।”
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि जुलाई के मध्य में बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में कोटा सुधार के मुद्दे पर विवाद शुरू हुआ था। छात्र-छात्राओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सुधार के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन कई सप्ताह के प्रदर्शनों के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी नौ सूत्रीय मांगों को कम कर एक ही मांग पर केंद्रित कर दिया। वह था हसीना सरकार का इस्तीफा। रविवार को देश भर में कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन विरोध जारी रहा। सोमवार को सेना प्रमुख के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद हसीना के इस्तीफे की खबर आई। इसके बाद जनता सड़कों पर उतर आई और ‘गणभवन’ में विजय जुलूस निकाला गया।