देश में कोरोना की महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। कौन, कब इसकी चपेट में आ जाए, कहा नहीं जा सकता। इस बीच देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और अन्य जीवन रक्षक दवाइओं की भारी कमी ने मरीजों के साथ ही अस्पतालों और सरकारों की भी चिंता बढ़ा दी है।
यह स्थिति मुश्किल से पिछले एक महीने में आई है। उससे पहले चंद राज्यों में ही कोरोना संक्रमण ज्यादा बड़ी समस्या थी। देश के शेष राज्यों में संक्रमण न के बराबर था, लेकिन पिछले करीब एक महीने में परिदृश्य बदल गया है। अब इसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़,बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम, तेलंगाना, केरल जैसे राज्य भी जुड़ गए हैं। अगर देश के 10-11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्य इसकी चपेट में आ गए हैं।
ये हैं कारण
इसका कारण जानना मुश्किल नहीं है। दरअस्ल कोरोना की पहली और दूसरी दोनों ही लहरों में देश में सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र के बाद देश की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली रही है। महाराष्ट्र इस मामले में पिछली बार भी पहले क्रमांक था और इस बार भी। वहीं दिल्ली पिछली बार भी संक्रमण से प्रभावित होने के मामले में दूसरे क्रमांक पर थी और इस बार भी यह महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित प्रदेश है। एक देश की राजधानी है तो दूसरा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई समाहित प्रदेश है।
महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावति राज्य
अगर आबादी की दृष्टि से देखें तो दिल्ली और मुंबई की आबादी में करीब एक करोड़ का फर्क है। दिल्ली की आबादी जहां लगभग 2.50 करोड़ है, वहीं मुंबई की आबादी 1.40 के आसपास है। लेकिन अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो महाराष्ट्र की आबादी दिल्ली से कई गुना ज्यादा है। महाराष्ट्र की आबादी लगभग 13 करोड़ है। इस लिहाज से महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों और इससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा ज्यादा होना स्वाभाविक है। लेकिन यह भी सत्य है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर भी मुंबई ही है। हालांकि इस बार के संक्रमण ने पुणे, नागपुर, नासिक और औरंगाबाद के साथ ही अमरावती और अन्य शहरों को भी बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है।
महाराष्ट्र और दिल्ली सुपर स्प्रेडर
पिछले एक साल के आंकड़ों को देखें तो महाराष्ट्र और दिल्ली दोनों को सुपर स्प्रेडर माना जा सकता है। लेकिन यहां यह भी विचार करना जरुरी है कि आखिर इसका क्या कारण है?
ये हैं कारण
दरअस्ल मुंबई और दिल्ली इन दोनों ही महानरों में बड़े पैमाने पर लोगों का आना-जाना होता है। सिर्फ श्रमिकों और देश के अन्य लोगों का ही नहीं, विदेशियों और भारतीय मूल के विदेश में रहनेवाले लोगों का भी बड़े पैमाने पर इन दोनों शहरों में आना-जाना होता है। इसके लिए वे स्वाभाविक रुप से इंटरनेशनल फ्लाइट का इस्तेमाल करते हैं और ये सत्य है कि कोरोना के पहले चंद मरीज विदेशों से ही आए थे।
खास बातें
– भारत में सबसे पहले कोरोना संक्रमित मरीज केरल में 30 जनवरी 2020 को मिला था। चीन के वुहान से लौटी केरल की एक छात्रा कोरोना संक्रमित पाई गई थी।
– महाराष्ट्र के पुणे में वायरस का पहला मामला 9 मार्च 2020 को पाया गया। दुबई से लौटे ये दंपति संक्रमित पाए गए थे। इसके अगले दिन तीन और लोग संक्रमित पाए गए थे, जो इस दंपति के संपर्क में आए थे।
– महाराष्ट्र में कोरोना से पहली मौत 17 मार्च को हुई थी। 64 साल के इस बुजुर्ग की मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में मौत हो गई थी।
– महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मद्देनजर 23 मार्च को पहले लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।
अनजाने मे बन गए सुपर स्प्रेडर
पुणे और फिर मुंबई के बाद दिल्ली तथा अन्य स्थानों पर इसके मरीज पाए गए थे। स्वाभाविक रुप से इस संक्रमण की शुरुआत विदेशों से हवाई यात्रा कर आए लोगों से हुई।
उसके बाद वे जहां-जहां गए और जिन लोगों से मिले, उनमें तेजी से यह संक्रमण फैला तथा जब तक इस संक्रमण के बारे में पता चल पाता, तब तक कोरोना का वायरस न जाने कितने लोगों तक पहुंच चुका था और लोग अनजाने में ही अन्य लोगों को संक्रमित कर रहे थे। इस तरह देश में कोरोना की पहली लहर आई, लेकिन वह लहर कुछ राज्यों तक ही सीमित रही थी।
दूसरी लहर की रफ्तार ज्यादा
दूसरी लहर जहां देश के अधिकांश प्रदेशों में फैल चुकी है, वहीं आगे भी यह काफी तेजी से फैल रही है। हालांकि इस बार संक्रमण से मृतकों का प्रतिशत काफी कम(1.3) है, लेकिन संक्रमण का दर इतने खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है, कि कहना मुश्किल है कि यह कहां जाकर रुकेगा। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमित राज्यों में महाराष्ट्र, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और केरल आदि शामिल हैं।
ये हैं सुपर स्प्रेडर राज्य
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के पहली लहर से उबरने के बाद दिसंबर 2020 से इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों का जीवन भी पटरी पर लौटने लगा था। दिसंबर के बाद जनवरी, फरवरी 2021 तक ऐसा लगने लगा था कि अब कोरोना का अंत निकट है, लेकिन मार्च महीने में एक बार फिर कोरोना संक्रमण ने टेंशन देना शुरू कर दिया और इस महीने के खत्म होते-होते कोरोना की दूसरी लहर ने अपना खतरनाक रुप दिखाना शुरू कर दिया।
मुंबई लोकल के यात्री बन गए सुपर स्प्रेडर
दरअस्ल इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण था, मुंबई लोकल में सभी यात्रियों को यात्रा करने की मंजूरी दिया जाना। मुंबई लोकल में हर तबके के लोग यात्रा करते हैं। फरवरी 2021 के अंत तक मुंबई के साथ ही महाराष्ट्र के लोगों को भी लगने लगा था कि अब कोरोना से डरने की जरुरत नहीं है। इसलिए मुंबई लोकल के साथ ही बसों में भी यात्रा करते समय उन्होंने आवश्यक सावधानियां बरतनी बंद कर दी। वैसे भी, जब सभी लोगों को लोकल में यात्रा करने की मंजूरी मिल गई तो सामाजिक दूरी का पालन करना असंभव ही था। इसके साथ ही मास्क जैसे कोरोना से लड़ने के प्रथम हथियार का भी यात्रियों ने ठीक से इस्तेमाल करना बंद कर दिया। परिणाम यह हुआ कि 20-25 दिनों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी तेज हो गई।
रेलवे यात्री बन गए सुपर स्प्रेडर
अप्रैल और मई इन दो महीनों में उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के लोग हर साल बड़ी संख्या में अपने गांव जाते हैं। इसके कई कारण हैं। इन महीनों में जहां फसलों की कटाई की वजह से खेती के काम बढ़ जाते हैं, वहीं शादी-ब्याह का भी समय होता है। इसके साथ ही उनके बच्चों के स्कूलों में छुट्टियां भी हो जाती हैं। इस बार तो यूपी में ग्राम पंचायत का चुनाव भी पड़ गया, तो ट्रेनों में भीड़ कुछ ज्यादा ही उमड़ने लगी और परिणाम यह हुआ कि इनमें से कई लोग अनजाने में ही कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन गए। उन्होंने अपने राज्यों में अनजाने में ही खूब कोरोना बांटा। इसलिए मुंबई और महाराष्ट्र से उनके साथ कोरोना उनके घर-प्रदेश में पहुंच गया।
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दिल्ली
दिल्ली में भी कोरोना की दूसरी लहर का संक्रमण मुंबई के ही पैटर्न पर फैला। दिल्ली में मेट्रो शुरू होने के बाद तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ा और फिर वहां के श्रमिकों के साथ कोरोना उनके प्रदेशों में भी पहुंच गया। दिल्ली को सुपर स्प्रेडर बनाने में आंदोलनकारी किसानों का भी बड़ा योगदान रहा। जब दिल्ली कोरोना की सुपरस्प्रेडर बन गई तो उससे सटे प्रदेशों को बच पाना मुश्किल था। इसलिए उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा भी इसकी चपेट में आ गए।
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गुजरात
गुजरात और महाराष्ट्र के बॉर्डर के सटे होने के कारण बड़ी संख्या में दोनों प्रदेश के लोगों का आना-जाना होता है। इस वजह से महराष्ट्र से कोरोना संक्रमण गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसढ़ तक पहुंच गया।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस का तेजी से फैलने का सबसे प्रमुख कारण वहां कराया जा रहा चुनाव है। इसमें कोई शक नहीं कि बाहर से पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार करने जाने वाले लोगों की वजह से वहां कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ही प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी इसके उदाहरण हैं। ये दोनों ही नेता कोरोना संक्रमित पाए गए। इन्होंने हाल ही में एक बड़ी रैली में हिस्सा लिया था। उस रैली में आए सैकड़ों लोग इनके संपर्क में आए होंगे और वे संक्रमित हुए होंगे। वहां के चुनाव प्रचार की रैलियों में न लोग मास्क लगा रहे हैं और न सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं। इस हालत में वहां कोरोना संक्रमण का बढ़ना स्वाभाविक है। हालांकि अब चुनाव आयोग ने कोरोना के नियमों को लेकर अपना रुख कड़ा कर दिया है।
इन राज्यों में संक्रमण काफी कम
देश के 10- 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना संक्रमण काफी कम है। इसके साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों का प्रतिशत भी यहां न के बराबर है। इनमें लद्दाख, दादरा नगर हवेली, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, लक्षद्वीप,अंडमान एंड निकोबार और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इसका कारण यह है कि इन प्रदेशों में दिल्ली और मुंबई के लोगों का ज्यादा आना-जाना नहीं है।