उत्तराखण्ड हिमस्खलन: राहत कार्य में बचाए गए 400 कर्मी, आठ की मौत

जोशीमठ में तीन महीनें में दूसरी बार ग्लेशियर टूटा है। जहां ये घटना हुई है वह स्थान भारत चीन सीमा पर स्थित है। इसकी चपेट में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाजेशन का कैंप आ गया है।

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चमोली जिले के जोशीमठ सेक्टर के सुमना में हिमस्खलन ने बॉर्डर रोड ऑर्जेनाइजेशन के आठ कर्मियों की जान ले ली। जबकि 400 कर्मचारियों को राहत कार्यों के बाद सेना ने बाहर निकाल लिया है। शुक्रवार दोपहर को हुए हिमस्खलन की चपेट में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाएजेशन का कैंप आ गया था।

सेना के अनुसार जहां हिमस्खलन हुआ है इसके आसपास के परिसर में भूस्खलन भी हो रहा है। जिससे कैंप की ओर जाने वाली सड़कें बंद हो गईं हैं और राहत कार्य प्रभावित हो रहा है। इस क्षेत्र में बॉर्डर रोड टास्क फोर्स का दल सड़कों की आवाजाही बहाल करने में लगा हुआ है। चार-पांच स्थानों पर सड़क कट गई हैं। सेना ने बताया कि 400 कर्मियों को सुरक्षित बचा लिया गया है। भापकुंड से सुमना के बीच भूस्खलन से बंद हुई सड़कों को बचाने का कार्य चल रहा है। इसमें कुछ समय लग सकता है।

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इस बीच उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथसिंह रावत ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने बताया कि हिमस्खलन और भूस्खलन से कई स्थानों पर सड़कें कट गई हैं संचार व्यवस्था खंडित है जिसे जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।

तीन महीने पहले भी हुई थी घटना
7 फरवरी 2021 को भी चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी। जब 77 लोगों की जान चली गई थी और कई लोग तभी से लापता हैं। इस घटना के बाद आई बाढ़ में ऋषिगंगा और धोलीगान नदियों में जलस्तर बढ़ गया। इसके कारण ऋषिगंगा हाइड्रो परियोजना और तपोवन विष्णूगढ़ हाइड्रो परियोजना को बहुत क्षति पहुंची थी। इन परियोजनाओं में कार्य कर रहे कर्मचारी जीवित ही जमीन में समा गए थे।

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