कोलकाता (Kolkata) में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर (Female Trainee Doctor) से दुष्कर्म (Rape) के मामले की मंगलवार (20 अगस्त) को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में सुनवाई हुई। न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। न्यायालय ने इस मामले पर राज्य सरकार, पुलिस और अस्पताल प्रशासन (Hospital Administration) से कड़े सवाल पूछे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आठ सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (National Task Force) के गठन का भी आदेश दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने जूनियर डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या तथा अस्पताल में तोड़फोड़ के मामले का स्वत: संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। बेंच ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जताई।
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BIG BREAKING: Supreme Court sets up a NATIONAL TASK FORCE to recommend measures for safety and protection of all doctors across the country. "We want to tell all the protesting doctors, please trust us" says CJI DY Chandrachud while hearing the Kolkata rape and murder case. pic.twitter.com/uVKwaw1Gmu
— Law Today (@LawTodayLive) August 20, 2024
अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी
सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि प्रिंसिपल क्या कर रहे थे। कोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने क्राइम सीन की सुरक्षा क्यों नहीं की। एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों हुई। साथ ही न्यायालय ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में चल रहे डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को जबरन नहीं रोका जाना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी। कोर्ट ने मामले में आठ सदस्यीय टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया। इसमें एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवासन के अलावा कई अन्य डॉक्टरों के नाम शामिल हैं।
डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर हम चिंतित हैं
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि यह सिर्फ हत्या का मामला नहीं है। हम डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बेंच ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षा से वंचित किया जा रहा है। बेंच ने कहा कि ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे काम करेंगे। हमने देखा है कि कई जगहों पर उनके लिए रेस्ट रूम तक नहीं हैं।
क्या है पूरा मामला?
9 अगस्त की रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी। अगली सुबह उसका शव मिला था, जिसके बाद से डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच बंगाल पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के पहले से ही शामिल होने को महत्वपूर्ण मानते हुए मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों, खासकर डॉक्टरों और उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट न्यायिक जांच का दायरा बढ़ा सकता है।
डॉक्टरों की हड़ताल को एक सप्ताह पूरा हुआ
इस मामले में डॉक्टरों की हड़ताल को रविवार को एक सप्ताह पूरा हो गया, जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सीबीआई दोषियों को पकड़े और कोर्ट उन्हें अधिकतम सजा दे। इसके अलावा वे सरकार से आश्वासन चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी।
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