Lateral Entry: सामाजिक न्याय के साथ लेटरल एंट्री पर नोटिफिकेशन जल्द, विपक्ष को लेकर भाजपा ने कही ये बात

मालवीय ने इसके साथ ही लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। उनका कहना है कि पंडित नेहरू ने अपनी बहन को कई देशों में राजदूत बनाकर भेजा।

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Lateral Entry: भारतीय जनता पार्टी(Bharatiya Janata Party) के नेता अमित मालवीय(Amit Malviya) ने विपक्ष(Opposition) को सलाह दी है कि वे लेटरल एंट्री के मुद्दे पर बेवजह उत्साहित न हो। जीत का दावा करने वाले विपक्ष को समझना चाहिए कि ‘लेटरल एंट्री’ की अधिसूचना वापस ली गई(Notification withdrawn) है, रद्द नहीं की गयी है।

उन्होंने कहा कि दिशा निर्देशों और सामाजिक न्याय(Social Justice) के परिभाषित प्रावधानों की स्पष्ट व्याख्या के साथ एक अधिक विशिष्ट अधिसूचना का जल्द आने की संभावना है, ताकि बार-बार अफवाह फैलाने वाले माहौल को खराब न कर सकें।

फिलहाल मोदी सरकार ने लिया वापस
उल्लेखनीय है कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती प्रक्रिया के लिए इश्तिहार को यूपीएससी ने प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया है। 17 अगस्त को यह जारी किया गया था। विपक्ष इसके जारी होने के बाद से ही इसकी आलोचना कर रहा था।

परिस्थितियों के अनुसार बदलाव
भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख मालवीय ने 21 अगस्त को एक्स पर कहा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कुछ नहीं बदला है। पहले भी विधेयक वापस लिए गए हैं और समीक्षा के लिए समितियों को भेजे गए हैं। वक्फ संशोधन विधेयक का हवाला देने वालों को ध्यान देना चाहिए। परिस्थितियों के अनुसार बदलाव और संवेदनशीलता ही मोदी सरकार की कुंजी बनी हुई है। विपक्ष को आंदोलन के लिए कोई मुद्दा मिलने की संभावना नहीं है, वे जब चाहें नैतिक जीत का दावा कर सकते हैं।

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कांग्रेस को घेरने की कोशिश
मालवीय ने इसके साथ ही लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। उनका कहना है कि पंडित नेहरू ने अपनी बहन को कई देशों में राजदूत बनाकर भेजा। मोंटेक सिंह अहलुवालिया और नंदन नीलेकणि भी लेटरल एंट्री ही थे। कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में सामाजिक न्याय के बारे में नहीं सोचा। वहीं प्रधानमंत्री ने इसमें होने वाले मनमानी को रोकने के लिए 2018 में, यूपीएससी के माध्यम से लेटरल एंट्री को संस्थागत बना दिया। इस प्रक्रिया में अपारदर्शिता को दूर किया और सिस्टम में तदर्थ प्रविष्टियों को समाप्त कर दिया।

वहीं कांग्रेस ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मीलिया इस्लामिया जैसे संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा देकर हजारों एसएसी एसटी छात्रों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर दिया।

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