Maharashtra: महाविकास अघाड़ी की बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की अपनी गुप्त इच्छा व्यक्त की, लेकिन कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस( शरद पवार गुट) ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद भी ठाकरे ने दोनों कांग्रेस पर दबाव बनाना जारी रखा है। 20 अगस्त को तो ठाकरे अपनी फूहड़ता की हद तक पहुंच गए। वह सीधे कांग्रेस के मंच पर पहुंचे और कांग्रेस का झंडा लेकर कांग्रेस पार्टी का ‘सद्भावना दिवस’ मनाते हुए उन्होंने शपथ ली।
गांधी परिवार के दरवाजे पर दस्तक
शिवसेना उबाठा के प्रवक्ता संजय राउत ने पिछले कई दिनों से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में महाविकास अघाड़ी के चेहरे के रूप में ‘प्रोजेक्ट’ करने की कोशिश की। आख़िरकार, राउत ने ठाकरे परिवार को सोनिया, राहुल गांधी और प्रियंका के दरवार में पहुंचा दिया। वहां भी ठाकरे ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की इच्छा जताई और खुद के चेहरे को अघाड़ी के मुख्यमंत्री के रूप में मान्यता देने की गुहार लगाई। बताया जाता है कि गांधी ने ‘अभी नहीं’ कहकर इसे टाल दिया था।
कांग्रेस का विरोध, एनसीपी की उपेक्षा
हालांकि, ठाकरे के लिए अपनी गुप्त इच्छा को लंबे समय तक अपने पेट में रखना मुश्किल हो गया। उन्होंने महाविकास अघाड़ी की बैठक में इसे अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस और एनसीपी को मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा देना चाहिए। हम उनका समर्थन करेंगे।” कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने वहां इसका विरोध किया और कहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, यह चुनाव के बाद का मामला है।
राजीव गांधी की तारीफ
मंगलवार, 20 अगस्त को ठाकरे राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर मनाए गए ‘सद्भावना’ दिवस में शामिल हुए। उन्होंने अपने गले में कांग्रेस का झंडा पहना, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दी गई शपथ ली। एक सभ्य, सुसंस्कृत नेता के रूप में राजीव गांधी की प्रशंसा की। संक्षेप में, ठाकरे ने वह सब किया, जो वह कर सकते थे।
शिवभक्तों में नाराजगी
शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के समय में बीजेपी के राष्ट्रीय नेता ‘मातोश्री’ में मिलने आते थे, लेकिन अब ठाकरे को कांग्रेस नेताओं से मिलने दिल्ली जाना होगा। शिवसैनिकों के बीच चर्चा है कि ठाकरे की ढिलाई के कारण पुराने शिवसैनिक नाराज हैं और सत्ता के लिए इतने निचले स्तर पर आने का वक्त बीजेपी के गठबंधन में रहते कभी नहीं आया।