Bangladesh Crisis: हिन्दुओं का नरसंहार ‘सुनियोजित’, जानें क्या है जमात-ए-इस्लाम का रोल

पहले जेईएल बांग्लादेश अथवा जेल बांग्लादेश ने अवामी लीग की सरकार से करीबियों का फायदा उठाकर अपने जेहादी कट्टरपंथियों को ऊंचें पदों पर बैठाकर भविष्य में होने वाली हिंसा

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  • डॉ. सत्या चौधरी

Bangladesh Crisis: लोकतंत्र-जनता की, जनता द्वारा, जनता के लिए सरकार है। किंतु पांच अगस्त 2024 को जिस प्रकार से बांग्लादेश में बांग्लादेशियों द्वारा चुनी हुई शेख हसीना (Sheikh Hasina) की सरकार का तख्ताापलट हुआ, वो वैश्विक परिदृश्य में एक निंदनीय कृत्य है। बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री व राष्ट्रपिता की उपाधि से विभूषित बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान (Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman) की प्रतिमा के साथ हुई बदसलूकी इन इस्लामिक जेहादियों की जाहिलियत और कट्टरता को दर्शाती है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा पूरे घटनाक्रम में अमेरिका और पाकिस्तान के षड्यंत्रों की आशंका के बावजूद भारत के तथाकथित स्वघोषित बुद्धिजीवियों अथवा आन्दोलनजीवियों द्वारा इसे राजनीतिक अपरिपक्वता, छात्र आंदोलन, तानाशाही व निरंकुश शासन का परिणाम बताना आम भारतीयों के लिए चौंका देने वाला है।

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16 अगस्त 1946 का पैटर्न
बांग्लादेशी सरकार के तख्तापलट से पहले और बाद में होने वाली घटनाओं का बारीकी से अध्ययन करने पर पता चलता है कि इनका पैटर्न 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग और मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा कारित ‘ डायरेक्ट एक्शन ‘ से मिलता जुलता है जिसका एकमात्र उद्देश्य हिंदुओं का नरसंहार, हिंदू महिलाओं का बलात्कार, अपहरण, हिंदुओं की सम्पत्ति का अपहरण, लूटपाट व जाति विशेष का समूल नाश है। इस बीच भारत के बंटवारे से पहले 1941 में मौलाना अबूल आला मौदूदी द्वारा लाहौर में स्थापित जमात-ए-इस्लामिक जो कि एक इस्लामिक राजनीतिक दल है, जिसका मकसद खुदा की सल्तनत स्थापित करना है और जिसकी एक शाखा जमात-ए-इस्लामिक (जेईएल) बांग्लादेश में भी सक्रिय है कि भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है।

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जमात-ए-इस्लाम का षड्यंत्र
पहले जेईएल बांग्लादेश अथवा जेल बांग्लादेश ने अवामी लीग की सरकार से करीबियों का फायदा उठाकर अपने जेहादी कट्टरपंथियों को ऊंचें पदों पर बैठाकर भविष्य में होने वाली हिंसा की तैयारियों को सुनिश्चित किया जिसमें हिंदू आबादी वाले क्षेत्रों में जेहादियों की भर्ती, हिंदुओं के मंदिरों व प्रतिष्ठानों की मार्किंग की गई जिससे दंगों के दौरान उग्र भीड़ की आड़ में हिन्दू नरसंहार व महिलाओं के बलात्कार को वीभत्स तरीके से अंजाम दिया जा सके। जेल बांग्लादेश ने छात्र आंदोलन को देशव्यापी बनाकर अवसर मिलते ही शेख हसीना को देश से निष्काषित कर अपने मंसूबों को अंजाम दिया और बर्बरतापूर्ण वीभत्स तरीके से खुलेआम नरसंहार और बलात्कर की घटनाओं को अंजाम दिया, जिसमें अबतक लगभग 10 हजार लोगों के हताहत होने का अनुमान है।

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एक करोड़ हिंदू विलुप्त
ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल बरकत की 2016 में प्रकाशित पुस्तक के अनुसार 1964 से 2013 के मध्य बांग्लादेश में लगभग एक करोड़ हिन्दू आबादी हत्या, अपहरण, धर्म परिवर्तन अथवा विस्थापन के कारण विलुप्त हो गई, ध्यान देने योग्य तथ्य है कि 1950 में बांग्लादेश में हिन्दू आबादी 22 प्रतिशत थी जो आज घटकर लगभग आठ प्रतिशत बची हुई है। वर्तमान में बंगलादेश के अन्तरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस का ढाकेश्वरी मंदिर जाना अथवा हिन्दू अल्पसंख्यकों के संरक्षण व संवर्धन की बातें करना 1950 के नेहरू – लियाकत समझौते की तरह कोरी कल्पना लगती है, जिसका पालन भारत ने तो किया किंतु पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक आज भी अपने अधिकारों व संरक्षण की बाट जोह रहे हैं।

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वीर भोग्या वसुंधरा
आज जरूरत है कि ‘ वसुधैव कुटुम्बकं ‘ और ‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः ‘ के साथ -साथ भारत की सरकार व हिन्दू समाज ‘ वीर भोग्या वसुन्धरा: ‘ के मंत्र की अनुपालना में इजराइल की सरकार व यहूदियों से सीख लेते हुए बांग्लादेशी हिंदुओं के सुरक्षा हेतु सभी मोर्चों पर मजबूती से अपनी भावाभिव्यक्ति को रखें, क्योंकि कट्टरपंथी जेहादियों के दमन का मात्र यही एक रास्ता शेष है जिसे धर्मनिरपेक्षता के दृष्टिकोण से देखना असम्भव है।

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