Kolkata Rape-Murder Case: सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल को आई ‘हंसी’, जानें एसजी तुषार मेहता ने क्या कहा- देखिये वीडियो

सर्वोच्च न्यायालय ने शहर के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 9 अगस्त को कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक द्वारा एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार-हत्या के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।

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Kolkata Rape-Murder Case: वरिष्ठ वकील (Senior Advocate) कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) 22 अगस्त (गुरुवार) को कोलकाता मामले (Kolkata case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान कथित तौर पर हंसने लगे, जिसके कारण सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) (एसजी) तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि ‘कोई मर गया है।’

सर्वोच्च न्यायालय ने शहर के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 9 अगस्त को कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक द्वारा एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार-हत्या के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।

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पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व
सिब्बल पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि मेहता केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश हुए हैं, जो कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच कर रहा है। हंसी की यह घटना उस समय हुई जब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष सिब्बल और मेहता के बीच बहस चल रही थी, जिसमें एसजी ने पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने में खामियों की ओर इशारा किया। एसजी ने कहा, “…तो यह सामान्य प्रविष्टि से है,” जिसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने हस्तक्षेप किया।

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कथित रूप से हंस रहे प्रतिद्वंद्वी
सॉलिसिटर जनरल ने अपने कथित रूप से हंस रहे प्रतिद्वंद्वी से कहा, “एक लड़की ने सबसे अमानवीय और असम्मानजनक तरीके से अपनी जान गंवा दी है। कोई मर गया है। कम से कम हंसो मत।” इस बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 32 सेकंड की इस क्लिप को शेयर करते हुए, भाजपा के अमित मालवीय ने सिब्बल की ‘पूर्ण असंवेदनशीलता’ के लिए आलोचना की। मालवीय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “(पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी की तरह, पूर्व कांग्रेसी कपिल सिब्बल के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी टीम ने युवा डॉक्टर की दो बार हत्या करने के लिए कोई पछतावा नहीं दिखाया…सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कपिल सिब्बल को ‘हंसना नहीं’ याद दिलाना पड़ा।”

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जांच एजेंसी को सौंपी
सीबीआई ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि जब जांच एजेंसी को सौंपी गई, तब तक ‘सब कुछ बदल दिया गया था।’

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