Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में गहराया आर्थिक संकट, मंत्रियों का वेतन रोका

संसदीय सचिव के साथ कैबिनेट दर्जा प्राप्त आठ सलाहकारों व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष -उपाध्यक्षों के वेतन व भत्तों को विलंबित करने की घोषणा कर दी।

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Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सरकार का खजाना (Government Treasury) खाली होने लगा है। नौबत यहां तक आ गई कि हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद राज्य सरकार (State Government) को ये फ़ैसला लेना पड़ा कि मुख्यमंत्री (Chief Minister) समेत 2 महीने तक मंत्रिमंडल लिए सहयोगियों (Cabinet colleagues)।

संसदीय सचिव के साथ कैबिनेट दर्जा प्राप्त आठ सलाहकारों व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष -उपाध्यक्षों के वेतन व भत्तों को विलंबित करने की घोषणा कर दी।

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कांग्रेस की चुनावी गारंटियों पर खर्च हो रही है रकम
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए 10 चुनावी गारंटी की थी। इसमें पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की गारंटी भी दी थी। महिलाओं को हर महीने1,500 रुपए देने की शुरुआत हुई है। इस योजना के तहत 14 लाख पात्र महिलाओं में से कुछ जिलों में ही करीब 2.90 लाख महिलाओं को आर्थिक लाभ मिल रहा है। दूध खरीद के दाम बढ़ाए गए हैं। 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने का वादा था लेकिन 125 यूनिट ही निशुल्क बिजली दी जा रही है। ध्यान देने की बात यह है कि आयकर करदाताओं को मुफ्त बिजली नहीं दी जा रही है। 5 लाख युवाओं को रोजगार, मोबाइल क्लीनिक हर विधानसभा क्षेत्र में शुरु करने‌ और चार अंग्रेजी माध्यम स्कूल व बागवानों के उत्पादों की कीमत स्वयं किसान तय करने की गारंटी को पूरा करने के लिए 3,500 करोड रुपए के खर्च का अनुमान है।

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केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की गुहार
राज्य की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने आय बढ़ाने और गैर उत्पादक खर्चों को कम करने का प्रयास किया है। हिमाचल प्रदेश पर इस समय 87,589 करोड रुपए का कर्ज है। कांग्रेस सरकार ने करीब पौने दो साल के कार्यकाल में ही 19,000 करोड रुपए का कर्ज भी ले लिया है। स्थिति यहां तक बिगड़ गई है कि हिमाचल प्रदेश सरकार को पेंशन वेतन व विकास कार्यों के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। अभी तो छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने से कर्मचारी व पेंशनर को 11,000 करोड रुपए देने है। अब हिमाचल प्रदेश सरकार केंद्र सरकार की तरफ देख रही है।

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