Himachal Pradesh: अपने राजनीतिक फायदे (political benefits) के लिए चुनाव में रेवड़ियां (freebies in elections) बांटने का कितना बड़ा नुकसान होता है। इसका ताजा उदाहरण हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का है। आर्थिक संकट (economic crisis,) से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारी (government employees) और पेंशनर को इस बार महीने की 2 तारीख को भी वेतन पेंशन नहीं मिला।
केंद्र सरकार की तरफ से सामान्य तौर पर राजस्व घाटा अनुदान की किस्त महीने की 5- 6 तारीख को राज्य सरकार के खाते में पहुंचती है। अब हिमाचल प्रदेश सरकार को इंतजार है कि केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान की 490 करोड रुपए की मासिक किस्त मिलने का । इस राशि के आने के बाद ही सरकारी कर्मचारियों को वेतन एवं पेंशन मिल सकेगी।
हिमाचल प्रदेश में पहली बार बनी है ऐसी स्थिति
हिमाचल प्रदेश सरकार को प्रत्येक महीने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए 1200 करोड रुपए और पेंशन भुगतान के लिए 800 करोड रुपए की जरूरत होती है। हालांकि हिमाचल प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन से बचने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
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कब रोक लगेगी चुनावी रेवड़ियां बांटने पर
राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए हर वर्ग के के लिए लोक लुभावन योजनाओं की घोषणा करते हैं। जिसमें हर महीने नकद राशि देने का भी वादा करते हैं। जिसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ता है। सबसे बड़ा सवाल यह है की क्या राजनीतिक दलों पर रेवड़ियां बांटने पर रोक लगाने के लिए कोई कड़े कानून बनेंगे।
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