कोरोना की सुनामी के कारण देश की स्वास्थ्य सेवा पर लगातार बोझ बढ़ता जा रहा है। इस वजह से अस्पतलों में बेड, ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक दवाइयों की किल्लत देखी जा रही है। कई जरुरतमंद अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं तो कई उपचार नहीं मिलने के कारण दम तोड़ रहे हैं। इन सबके बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि आखिर कोरोना मरीजों को उपचार क्यों नहीं मिल पा रहा है।
जरुरतमंदों को उपचार नहीं मिलने के ये हैं कारण
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि जो कोरोना संक्रमित हो जाते हैं, वे काफी पैनिक हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं मुझे बाद में ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती होने की जरुत न पड़ जाए, इसलिए मैं अभी से भर्ती हो जाता हूं। इस कारण अस्पतालों के बाहर भीड़ बहुत बढ़ जाती है और जरुरतमंद मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता है।
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इसलिए है दवाइयों की कमी
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पैनिक होने के कारण वे घर पर पहले से ही दवाइयां शुरू कर देते हैं। इस कारण बाजार में दवाई की कमी हो जाती है। पहले ही दिन से सभी दवाई शुरू करने के कारण साइड इफेक्ट भी होने लगते हैं, जबकि इसका कोई लाभ नहीं होता है।
इसलिए है ऑक्सीजन की किल्लत
अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के बीच डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कई लोग सोचते हैं कि अभी से ही ऑक्सीजन घर पर रख लेता हूं, आनेवाले समय में यह मिले,न मिले। इन सब धारणाओं के कारण अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है और ऑक्सीजन तथा दवाओं की कमी हो रही है। इसमें मिसयूज बड़ फैक्टर है।
जो #COVID19 पाॅजिटिव आता है उसमें ये पैनिक हो जाता है कि कहीं मुझे बाद में ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत न पड़े इसलिए मैं अभी भर्ती हो जाता हूं। इससे अस्पतालों के बाहर बहुत भीड़ हो जाती है और वास्तविक मरीज़ों को इलाज नहीं मिल पाता हैः रणदीप गुलेरिया, #AIIMS निदेशक pic.twitter.com/vGD5lFbK18
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) April 26, 2021
सलाह
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हमें कोरोना संक्रमण को किसी भी हाल में नियंत्रित करना होगा और अस्पतालों की साधन-सुविधाओं का बेहतर उपयोग करना होगा