Kolkata Rape-Murder Case: सवालों के घेरे में ममता की ‘ममता’, जानें क्या हैं आरोप

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होते हुए भी वह सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने लगती हैं। ‌उनकी भूमिका को लेकर हमेशा विवाद रहा है।

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  • नरेश वत्स

Kolkata Rape-Murder Case: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (Chief Minister of West Bengal) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का विवादों से गहरा नाता है। कोलकाता के मेडिकल कॉलेज (Medical College of Kolkata) में एक ट्रेनी डॉक्टर (Trainee Doctor) के साथ रेप के बाद हुई हत्या से पूरा देश उबाल पर है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होते हुए भी वह सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने लगती हैं। ‌उनकी भूमिका को लेकर हमेशा विवाद रहा है।

  • पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले ममता बनर्जी के चोटिल होने पर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर उनको चोट कैसे लगी? लगी भी या नहीं।
  • ममता बनर्जी को 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पैर में चोट लग गई थी। ममता ने प्लास्टर लगाकर पूरा चुनावी कैंपेन किया था। टीएमसी चुनाव जीत गई थी लेकिन वह नंदीग्राम से चुनाव हार गई थीं।
  • ममता बनर्जी को चोट लगने वाला हादसा अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। ‌ सवाल यह कि अगर ममता के साथ उनके परिवार कितने सारे लोग थे तो अचानक उनका लगा धक्का हमला था या महज हादसा।
  • ममता ने पीछे से धक्का लगने का जिक्र किया था। ममता बनर्जी जेड प्लस सिक्योरिटी वाली कैटेगरी में आती है तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर उन तक हमलावर पहुंचे कैसे?

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सवालों के घेरे में ममता
कोलकाता के आईजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद निर्ममता से हत्या कर दी गई। कोलकाता की घटना के उपरांत देशभर के डॉक्टरों में उबाल आ आया और वह हड़ताल पर चले गए। इसके चलते स्वास्थ्य सेवाएं चरमर आ गईं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने घटना का स्वयं संज्ञान लिया और बंगाल सरकार को फटकार लगाई।

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गंभीर मामले पर राजनीति
सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार के पास कोई जवाब नहीं कि घटना के 14 घंटे के बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई? सुप्रीम कोर्ट ने आगाह किया था कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाए लेकिन राजनीति तो पहले से ही शुरू हो गई थी।

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आरोपियों को बचाने की कोशिश
यह पहली बार नहीं, जब वह अपने राज्य की किसी गंभीर घटना पर आरोपित लोगों को बचाने की कोशिश करती हुई दिखाई दी हो। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने जब अपने पद से इस्तीफा दिया तो उस पर कोई निर्णय लेने के स्थान पर उन्हें उसी दिन एक अन्य मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया। इसके बाद डॉक्टरों के साथ ही आम लोगों का भी गुस्सा फूट पड़ा। विचित्र बात यह हुई कि जब ममता बनर्जी को यह लगा कि मामला हाथ से निकल रहा है तो वह खुद भी सड़क पर उतर गईं। इससे उनकी फजीहत ही हुई। इससे बचने के लिए ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा कि देश में प्रतिदिन 90 दुष्कर्म होते हैं और दुष्कर्म के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाना चाहिए आखिर यह पत्र लिखने के स्थान पर उन्होंने मेडिकल कॉलेज की घटना पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह क्यों नहीं किया?

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एक और कठोर कानून?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर बंगाल विधानसभा ने दुष्कर्मियों को फांसी की सजा के प्रावधान वाला जो विधेयक पारित किया गया, उसे यौन अपराधी डरेंगे यह कहना कठिन है। यह मानने के पर्याप्त कारण है कि विधेयक का मूल उद्देश्य राजनीतिक संदेश देना अधिक है। ममता सरकार दुष्कर्म के अपराधों के प्रति असंवेदनशील रही है ।ममता बनर्जी सरकार को यह संदेश देने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले ने यही जताया कि बंगाल पुलिस और सरकार ने इस प्रकरण में गैर जिम्मेदारी और असंवेदनशीलता का परिचय दिया।

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कानून में कई खामियां
पश्चिम बंगाल विधानसभा की ओर से आनन- फानन में पारित किए गए विधेयक में कहा गया है कि यदि दुष्कर्म के किसी मामले में पीड़िता की मौत हो जाती है या फिर वह कोमा में चली जाती है तो अपराधी को फांसी की सजा दी जाएगी। पहले यह कहा गया था कि ऐसे मामलों में सजा सुनाए जाने के 10 दिन के अंदर दोषी को फांसी दे दी जाएगी। लेकिन पारित किए गए विधेयक में इसका उल्लेख नहीं है। कोई भी समझ सकता है कि वह इसलिए नहीं है क्योंकि ऐसा संभव नहीं था,  न्याय प्रक्रिया का पालन किए बिना फांसी की सजा पर अमल संभव नहीं है। किसी को फांसी की सजा तभी दी जा सकती है, जब उच्चतम न्यायपालिका इसकी अनुमति दे दे। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि देश को दहलाने वाले निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी की सजा देने में 8 वर्ष लग गए ।

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कथनी और करनी में अंतर
भले ही पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हो कि अपराजिता महिला बाल सुरक्षा विधेयक भारतीय न्याय संहिता से अधिक कठोर है। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इस कानून बन जाने पर वह माहौल कायम हो सकेगा, जिसमें महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें और और  आरजी कर मेडिकल कॉलेज जैसी घटनाएं न हो सके। इसके प्रति इसलिए आश्वास नहीं हुआ जा सकता क्योंकि आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर देशव्यापी आक्रोश के बाद भी प्रतिदिन दुष्कर्म के समाचार आ रहे हैं।

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