Assembly elections: हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। पहले कुमारी शैलजा ने अपनी मुख्यमंत्री बनने की चाहत को सार्वजनिक किया। अब मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि स्टेट को कौन लीड नहीं करना चाहेगा? मैं भी करना चाहता हूं। लेकिन यह फैसला पार्टी आलाकमान को करना है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन सभी की इच्छा होती है। हरियाणा कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार की कहावत चरितार्थ हो रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए हरियाणा कांग्रेस के दिग्गजों ने यह दांव चला है। कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाकर हुड्डा का खेल बिगड़ने में लगे हैं।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में नहीं होगा गठबंधन
हरियाणा कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए। कांग्रेस पार्टी के महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हम सभी नेताओं ने अपनी बात पार्टी आला कमान को कह दी है कि हम अकेले ही सक्षम हैं। मजबूत हैं ।अब यह पार्टी आलाकमान को तय करना है कि आम आदमी पार्टी के साथ हरियाणा में मिलकर चुनाव लड़ा जाए या नहीं।
सीटों को लेकर फंसा पेंच
दरअसल कांग्रेस के इलेक्शन कमेटी की मीटिंग में राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने कमेटी के सदस्यों से इस पर राय मांगी थी लेकिन हरियाणा में आप-कांग्रेस गठबंधन की बातचीत सीटों की संख्या और निर्वाचन क्षेत्र के चयन को लेकर फंस गई है। आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का फार्मूला स्वीकार्य नहीं है।
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हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की घोषणा के बाद 20 से ज्यादा नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। लेकिन बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे हुए है। दूसरी तरफ कांग्रेस को उम्मीद है कि बीजेपी के और भी बागी उनके साथ आएंगे लिहाजा अब भी कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में देरी करती जा रही है।
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एमपी मॉडल पर अमल
सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बागियों को मनाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जब मध्य प्रदेश में पिछले साल विधानसभा के चुनाव थे तो वहां भी टिकटों की घोषणा के साथ ही बीजेपी में बगावत हो गई थी। भाजपा के ही नहीं, संघ के बड़े-बड़े नेता नाराज हो गए थे बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। स्थानीय स्तर पर उन नेताओं को मनाने की कोशिश हुई लेकिन किसी भी बड़े नेता ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। पर नतीजों में बीजेपी को सफलता मिली थी। बीजेपी का कहना है कि इसी तरह का प्रयोग हरियाणा में भी किया जा रहा है।