Veer Savarkar: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हाल ही में अपनी पार्टी के सामान्य रुख से हटकर अस्पृश्यता की प्रथा के खिलाफ लड़ाई में वीर सावरकर के प्रयासों की सराहना की है। शिंदे ने सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने में वीर सावरकर की भूमिका को स्वीकार किया, विशेष रूप से अस्पृश्यता को मिटाने के उनके अभियान में, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक गहरी जड़ वाली प्रथा थी।
सुशील कुमार शिंदे ने कहा, “मैंने हमेशा वीर सावरकर द्वारा अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए किए गए काम का सम्मान किया है। उन्होंने पतीतपावन मंदिर का शेड्यूल कास्ट के शख्स से फाउंडेशन करवाया। सावरकर का यही सिद्धांत छुआछूत खत्म करने का रास्ता है।”
सामाजिक सुधार में वीर सावरकर की भूमिका महत्वपूर्ण
वीर सावरकर, जो मुख्य रूप से हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े होने के लिए जाने जाते हैं, सामाजिक सुधार के भी मुखर समर्थक थे। रत्नागिरी में निवास करने के दौरान उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ सक्रिय रूप से अभियान चलाया, दलितों के लिए मंदिर में प्रवेश को प्रोत्साहित किया और पहले उनके लिए निषिद्ध कुएं के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया। इन क्षेत्रों में सावरकर के प्रयास अक्सर उनके राजनीतिक कार्यों से जुड़े होते हैं, हालांकि ये उनकी विरासत के कम ज्ञात पहलू हैं।
भाजपा ने बयान का स्वागत किया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिंदे के बयान का स्वागत किया। भाजपा ने इसे एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता की ओर से एक महत्वपूर्ण स्वीकृति के रूप में देखा। भाजपा प्रवक्ताओं ने दोहराया कि सावरकर की विरासत राजनीति से परे है और इसमें उनके महत्वपूर्ण सामाजिक योगदान शामिल हैं। भाजपा के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमें यह जानकरर खुशी हुई कि शिंदे जी जैसे कांग्रेस नेता भी हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए सावरकर के प्रयासों और अस्पृश्यता के खिलाफ उनकी लड़ाई को पहचान रहे हैं।”