New Delhi: भारत में सामजिक और पारिवारिक व्यवस्था की जड़ें मजबूत हैं: नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि विकसित देशों के लोग वैवाहिक और सामाजिक व्यवस्था के ध्वस्त होने से न केवल चिंतित हैं बल्कि भारती सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करने के लिए उत्सुक हैं।

354

New Delhi: भारत में सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था की जड़ें बहुत मजबूत हैं। हमारी इस विशेषता को पूरा विश्व स्वीकारता है और अपने समाज में लागू करने का हर संभव कोशिश करता है। ये बातें दिल्ली के तीन मूर्ति सभागार (प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय) में जाने-माने शिक्षाविद् पद्मश्री प्रो जगमोहन सिंह राजपूत की नई पुस्तक ‘भारतीय विरासत और वैश्विक समस्याएं — व्याग्रता, उग्रता और समग्रता’ के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि के रूप में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कही।

भारती सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण
 गडकरी ने कहा कि विकसित देशों के लोग वैवाहिक और सामाजिक व्यवस्था के ध्वस्त होने से न केवल चिंतित हैं बल्कि भारती सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत के कारण भारतीय परिवेश से जो संस्कार बचपन से ही मिलता है उसी के कारण युवाओं का व्यक्तित्व बहुत शक्तिशाली बन जाता है जो उसे सामाजिक बंधन में मज़बूती से बांधे रखता है। हमारी सामाजिक व्यवस्था आदर्शवाद के सिद्धांत पर चलती है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

समस्या को अवसर में बदल सकते हैं
भारतीय परिवार पद्धिति, शिक्षा पद्धिति, आयुर्वेद, योग विज्ञान, और संगीत को पूरे विश्व में मान्यता है और इसका सम्मान है। गडकरी ने कहा कि हम अपने दृष्टिकोण से अपनी समस्या को अवसर में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में दिल्ली और आसपास के कूड़ा-कचरा का उपयोग उन्होंने हाइवे के निर्माण में किया। जिससे दिल्ली में प्रदूषण और गंदगी में कमी आई है। लेकिन गाड़ियों के कारण प्रदूषण पर पूरी तरह से नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा है।

विमर्श से ही समस्याओं का निदान संभव
अपने अध्यक्षीय भाषण में भारत सरकार के पूर्व शिक्षामंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भारत हमेशा से विचार-विमर्श का पक्षधर रहा है। सांस्कृतिक विमर्श से ही समस्याओं का निदान संभव है। डॉ जोशी ने प्रो. जेएस राजपूत की पुस्तक की बारीक़ी से समीक्षा करते हुए कहा कि इनकी पुस्तक के नाम का एक-एक शब्द महत्त्वपूर्ण और विचारनीय है। आधुनिक्ता की अंधी दौड़ और भौतिकतावादी संस्कृति ने हम सबके सामने कई प्रकार की चुनौतियां पैदा कर दी हैं। जिसका समाधान समय रहते हम सबको तलाशना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में प्रो राजपूत का ज्ञान और उनका अनुभव परिलक्षित हो रहा है। मैं चाहता हूं कि उनकी पुस्तक को लोग पढ़ें और परिस्थियों पर गंभीरता से विचार करें।

जानने की जिज्ञासा हमारी सबसे बड़ी विरासत
डॉ जोशी ने कहा कि जानने की जिज्ञासा हमारी सबसे बड़ी विरासत है, त्यागपूर्ण भोग भारत की संस्कृति है। महात्मा गांधी और दीनद्याल उपाध्याय ने भी हमें त्याग का पाठ पढ़ाया और सामाजिक ताने-बाने को मज़बूत करने की सीख दी। डॉ जोशी ने पुस्तक के प्रकाशक किताबघर प्रकाशन के मनोज शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह की पुस्तक छापने का काम श्रद्धेय कार्य है जिसका पूण्य आपको सतत मिलता रहेगा।

सबके हित में ही मेरा हित
पुस्तक के लेखक और जाने-माने शिक्षाविद् प्रो जेएस राजपूत ने कहा कि प्रकृति के शोषण और दोहन लगातार किए जा रहे हैं, जो हम सबके लिए चुनौती है। मनुष्यत्व और आचार्यत्व के बूते ही हम समाज को रहने योग्य बना पाएंगे। प्रो राजपूत ने कहा कि ‘सबके हित में ही मेरा हित है’ इस सिद्धांत का अनुसरण किए बिना शांति और सद्भाव की परिकल्पना संभव नहीं है।

Veer Savarkar: सुशील कुमार शिंदे ने की वीर सावरकर की प्रशंसा,क्या एक्शन लेगी कांग्रेस?

प्रो राजपूत हम सबके लिए प्रेरणाश्रोत
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि प्रो राजपूत हम सबके लिए प्रेरणाश्रोत हैं। उनका अनुभव शिक्षाजगत को लगातार समृत कर रहा है। प्रो कुमार ने पीने के पानी, वायु, पर्यावरण जैसी समस्याओं को वैश्विक समस्या बताते हुए इसके निदान के गंभीर प्रयास की आवश्यकता बताई। उन्होंने महिलाओं के मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित और प्रधानंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष और पूर्व नौकरशाह नृपेंद्र मिश्र ने शिक्षा के क्षेत्र में डॉ मुरली मनोहर जोशी और प्रो जेएस राजपूत के योगदान को सराहते हुए कहा कि इनके अनुभवों का हम सबको लाभ उठाना चाहिए।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.