हिंदू मंदिरों (Hindu Temples) के बाहर बिकने वाले लड्डू (Laddu), पेड़े (Peda) को भगवान के चरणों में अर्पित करने के बाद प्रसाद (Prasad) के रूप में वितरित किया जाता है। लेकिन अक्सर ये बात सामने आई है कि इस प्रसाद में मिलावट हो रही है। इसीलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष और वीर सावरकर के पोते रणजीत सावरकर (Ranjit Savarkar) ने हिंदू मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली पूजा सामग्री और प्रसाद की पवित्रता बनाए रखने के लिए दो महीने पहले ‘ओम प्रतिष्ठान’ (Om Pratishthan) की स्थापना है।
बता दें कि प्रसाद की शुद्धता और अखंडता को बनाए रखने के लिए रणजीत सावरकर ने ओम सर्टिफिकेट की पहल की है। हलाल सर्टिफिकेशन की तर्ज पर त्र्यंबकेश्वर में ओम प्रतिष्ठान के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने साधु-महंतों की मौजूदगी में ओम सर्टिफिकेट जारी किया था।
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‘ओम प्रमाणपत्र’ आंदोलन की आवश्यकता
अब पूरे देश में यह खबर फैल गई है कि विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में पशु चर्बी और मछली का तेल मिला है। इससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।’ इसलिए एक बार फिर ‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ आंदोलन की जरूरत महसूस होने लगी है।
तिरुपति बालाजी का प्रसाद मिलावटी!
आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद की शुद्धता और पवित्रता को लेकर विवाद छिड़ गया है। तेलुगु देशम पार्टी के दावों के अनुसार, वाईएसआरसी सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू प्रसादम बनाने के लिए तिरुमाला मंदिर ट्रस्ट को आपूर्ति किए गए घी के प्रयोगशाला परीक्षणों में पशु वसा और मछली के तेल की चौंकाने वाली मौजूदगी का पता चला है।
सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी ने दावा किया कि घी के नमूनों का परीक्षण गुजरात की एक प्रयोगशाला में किया गया था। टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने 19 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लैब रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि नमूने 9 जुलाई, 2024 को गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला, एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) और सीएएलएफ (पशुधन और खाद्य में विश्लेषण और शिक्षण केंद्र) को भेजे गए थे। उसकी रिपोर्ट 17 जुलाई को प्राप्त हुई।
शुद्धता और पवित्रता की पहचान ओम प्रमाण पत्र
वर्तमान समय में हिंदू मंदिरों के बाहर बड़ी संख्या में मिठाई बेचने वाली दुकानें हैं। उनमें से कई अन्य धर्म के लोगों की हैं। उनके द्वारा प्रसाद बनाने में मिलावट की जाती है। अक्सर गाय की चर्बी का इस्तेमाल कर मिलावटी घी बनाने के मामले सामने आते रहे हैं। इस मिलावट को रोकने और हिंदू मंदिरों के प्रसाद की पवित्रता और सात्विकता को बनाए रखने के लिए ‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ की अवधारणा पेश की गई है। इसके लिए नासिक में हिंदुत्ववादी संगठन संगठित हुए और शुक्रवार, 14 जून को नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर क्षेत्र में कई मिठाई विक्रेताओं को ओम शुद्धता प्रमाणपत्र वितरित करके आंदोलन की शुरुआत की।
गाय की चर्बी का उपयोग
ओम प्रमाणपत्र वितरित करने के बाद मीडिया से बात करते हुए रणजीत सावरकर ने कहा कि प्रसाद में गाय की चर्बी मिलाई जा रही है। उस समय रणजीत सावरकर ने कहा था कि अमरावती में गाय की चर्बी और घी का इस्तेमाल कर प्रसाद तैयार किया जाता है और इसके 100-100 ग्राम के पैकेट बनाकर मंदिर के बाहर बेचे जाते हैं।
ओम प्रमाणपत्र अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना आवश्यक: सावरकर
हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए रणजीत सावरकर ने कहा कि हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली इस प्रथा को तुरंत रोकने के लिए ‘ओम प्रमाणपत्र’ की अवधारणा लाई गई है। ‘ओम प्रमाणपत्र’ प्रसाद की शुद्धता की गारंटी होगी। यह प्रमाणपत्र मंदिर के बाहर मिठाई विक्रेताओं के उत्पादों की जांच करने और यह सुनिश्चित करने के बाद दुकानदारों को दिया जा रहा है कि वे शुद्ध हैं। हिंदू अब मंदिर के बाहर पूजा सामग्री खरीद रहे हैं, इस प्रमाण पत्र के कारण यह तुरंत पता चल जाता है कि किसी के पास शुद्ध पूजा सामग्री और प्रसाद है या नहीं। दो महीने से यह आंदोलन जोर पकड़ रहा है। अब जब तिरूपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आया है तो इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की सख्त जरूरत है।
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