Tirupati Mandir Controversy: हिंदुओं का धर्मभ्रष्ट करने का षड्यंत्र ! जानें क्या है मंदिर महासंघ की मांग

प्रसाद में पशु चर्बी का तेल मिलाना केवल मिलावट नहीं, बल्कि यह हिंदुओं की धार्मिक आस्था पर जानबूझकर किया गया हमला है।

378

Tirupati Mandir Controversy: दुनिया भर में करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र माने जानेवाले श्री तिरुपति बालाजी मंदिर (Shri Tirupati Balaji Temple) के प्रसाद के लड्डुओं (Prasad Laddus) में पशु चर्बी का तेल (Animal fat oil) मिलाए जाने की बेहद गंभीर बात आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री (Andhra Pradesh Chief Minister) चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) द्वारा उजागर किए जाने के बाद विश्वभर के हिंदू समाज (Hindu society) में भारी आक्रोश निर्माण हुआ है।

प्रसाद में पशु चर्बी का तेल मिलाना केवल मिलावट नहीं, बल्कि यह हिंदुओं की धार्मिक आस्था पर जानबूझकर किया गया हमला है। यह घटना हिंदुओं के साथ विश्वासघात का प्रतीक है। पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के पिता सैम्युअल राजशेखर रेड्डी के मुख्यमंत्री रहते हुए, श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के पवित्र लड्डू बनाने का ठेका एक ईसाई संगठन को दिया गया था, और मंदिर की प्रबंधन समिति में ईसाई लोगों को नियुक्त किया गया था।

यह भी पढ़ें- Tirupati Mandir Controversy: नायडू के ‘पशु चर्बी’ के दावे के समर्थन में आई मंदिर ट्रस्ट, जगन रेड्डी पर ऐसे कस रहा है शिकंजा

मंदिर महासंघ की मांग
इसके साथ ही, मंदिर परिसर में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण को प्रोत्साहित किया गया था। अब प्रसाद के लड्डुओं में चर्बी का तेल मिलाकर हिंदुओं को धर्म भ्रष्ट करने का षडयंत्र रचा गया है, ऐसा प्रतिपादन मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट ने किया । उन्होंने मांग की कि जिन लोगों ने यह पाप किया है, उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए। इस विषय में मुंबई के दादर (पू.) रेल्वे स्टेशन के बाहर आंदोलन किया गया। इस समय मंदिर महासंघ के सदस्यों समेत भाविक एवं हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

यह भी पढ़ें- DCW appointment case: आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ा झटका, जानें पूरा मामला

फैसलों की गहराई से जांच
अब सिर्फ इस प्रसाद के लड्डुओं के मामले की ही नहीं, बल्कि जगनमोहन रेड्डी सरकार और उनके पिता सैम्युअल राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल में तिरुपति मंदिर से जुड़े सभी फैसलों की गहराई से जांच की जानी चाहिए। जिन भी फैसलों में हिंदू धर्म के खिलाफ कदम उठाए गए हों, उन्हें तुरंत निरस्त किया जाए, ऐसी मांग मंदिर महासंघ ने आंध्र प्रदेश सरकार से की है।

यह भी पढ़ें- J-K Assembly polls: घाटी को अस्थिर बनाए रखने के लिए जिम्मेदार कौन? जानें, केंद्रीय मंत्री ने किस पार्टी का लिया नाम

सरकारीकरण का सबसे बड़ा दुष्परिणाम
यह मामला मंदिरों के सरकारीकरण का सबसे बड़ा दुष्परिणाम कहा जा सकता है। देश भर के सभी मंदिरों में इसी प्रकार की धर्मभ्रष्टता या हिंदूविरोधी गतिविधियों की जांच करने की समय आ गया है। कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा में शामिल भक्त जिस होटल या ढाबे पर ठहरते थे, वहां उनके भोजन में थूकने और अन्य अशोभनीय हरकतें करने की बातें सामने आई थीं। इसके अलावा कई मंदिरों के बाहर देवता को अर्पित किए गए फूलों और हार में भी थूक लगाने की घटनाएं सामने आई थीं। सिर्फ ‘थूक जिहाद’ ही नहीं, बल्कि मुंबई के श्री सिद्धिविनायक मंदिर से लेकर केरल के कई मंदिरों में प्रसाद ‘हलाल उत्पादों’ से बनाए जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं।

यह भी पढ़ें- Tirupati Mandir Controversy: लड्डू प्रसादम में मिलावट का मामला, सीएम नायडू ने पिछली सरकार पर लगाया यह आरोप

मंदिर संस्कृति को भ्रष्ट होने से बचाना
धार्मिक हिंदू कभी भी इस प्रकार की बातें सहन नहीं कर सकते। भारतीय संविधान ने हर व्यक्ति को धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी है, और इस स्वतंत्रता में बाधा डालना एक गंभीर अपराध है। हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। मंदिरों में दिया जाने वाला प्रसाद सात्त्विक, शुद्ध और पवित्र होना चाहिए, और उसे बनाने और वितरण करने वाले सभी व्यक्ति भी धार्मिक हिंदू होने चाहिए, ऐसी मांग अब समय की आवश्यकता है। इसके लिए हिंदू समाज को संगठित होना चाहिए और अपनी मंदिर संस्कृति को भ्रष्ट होने से बचाना चाहिए, ऐसा श्री. सुनील घनवट ने कहा है।

यह वीडियो भी देखें-

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.