मुंबई। बिहार चुनाव में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा इन दिनों गरम है। लेकिन एनसीपी के कुछ नेताओं को पार्टी का यह फैसला मंजूर नहीं है और इसे लेकर अभी से पार्टी में गुटबाजी शुरू हो गई है। एक गुट का मानना है कि एनसीपी को शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि एनसीपी को बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ना चाहिए। इस गुटबाजी के चलते बिहार में दोनों पार्टियों को मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर अजमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
प्रफुल पटेल ने किया विरोध
एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल का कहना है कि बिहार चुनाव में पार्टी को अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। उनका कहना है कि कई कार्यकर्ताओं ने शिवसेना के साथ चुनाव लड़ने को लेकर नाराजगी जताई है। पटेल ने कहा कि बिहार के पार्टी कार्यकर्ता भी शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ना चाहते और उन्होंने अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी दिखाई है।
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आरजेडी और कांग्रेस की आलोचना
पटेल ने बताया कि कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही थी। बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, वरिष्ठ नेता अमहमद पटेल और आरजेडी के तेजस्वी यादव के साथ एनसीपी की चर्चा भी हुई थी। इस दौरान हमने ज्यादा सीटों की मांग भी नहीं की थी। इसके बावजूद उनकी ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला। इसके बाद पार्टी ने अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया है।उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां बीजेपी और जेडीयू का मुकाबला करने के लिए एक साथ आने की बातें करती हैं लेकिन दूसरी ओर वे दूसरी पार्टियों को महत्व नहीं देना चाहती हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी बिहार में साथ मिलकर चुनाव लड़ने में कोई रुचि नहीं दिखाई।
भाजपा के साथ जाने की जताई थी इच्छा
सबसे अहम बात तो यह है कि महाराष्ट्र में भाजपा और एनसीपी को साथ आने की कई एनसीपी नेताओं ने वकालत की थी।उनमें प्रफुल पटेल का नाम सबसे आगे था।लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता का सुख भोग रही एनसीपी बिहार में अलग होकर अपने दम पर किस्मत आजमाना चाहती है।