Central Government: मराठी भाषा का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है। 3 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। यह महाराष्ट्र के लिए बड़ी गर्व की खबर है। पिछले कई सालों से इसकी मांग हो रही थी। यह मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। कई लेखकों ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल गया है। महाराष्ट्र में बीजेपी नेता लगातार इस संबंध में केंद्र सरकार से संपर्क कर रहे थे।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (संस्कृति मंत्रालय) इस संबंध में निर्णय लेता है। अब तक कई भारतीय भाषाएं शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर चुकी हैं। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में इसका प्रावधान किया गया है।
शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने के मानदंड क्या हैं?
1) भाषा का साहित्य कम से कम 1500-2000 वर्ष पुराना होना चाहिए। 2) भाषा का प्राचीन साहित्य मूल्यवान होना चाहिए। 3) किसी भाषा की अपनी पहचान होनी चाहिए और उसे अन्य भाषाओं से उधार नहीं लिया जाना चाहिए। 4) भाषा का स्वरूप अन्य भाषाओं से भिन्न होना चाहिए।
शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने का क्या लाभ है?
1) शास्त्रीय दर्जा प्राप्त करने वाले विद्वानों के लिए हर साल दो राष्ट्रीय पुरस्कार होते हैं। 2) शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद अध्ययन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाता है। 3) प्रत्येक विश्वविद्यालय में शास्त्रीय भाषा का एक अध्ययन केन्द्र स्थापित किया जाता है।
वर्तमान में देश में छह भाषाओं तमिल, तेलुगु, संस्कृत, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा प्राप्त है। अब इसमें मराठी भाषा भी शामिल हो गई है।
देवेन्द्र फडणवीस की प्रतिक्रिया
उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार का आभारी हूं। पीएम मोदी ने इतने सालों की मांग मान ली। आज से हमारी भाषा शास्त्रीय भाषा मानी जायेगी। यह एक सुनहरा दिन है। राज्य के 12 करोड़ लोगों की ओर से और दुनिया भर के मराठी लोगों की ओर से, मैं केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।”