Central Government: केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने मराठी भाषा (Marathi language) को शास्त्रीय भाषा (classical language) का दर्जा दे दिया है…. मराठी भाषा के अतिरिक्त पांच भारतीय भाषाओं (additional five Indian languages) को भी शास्त्रीय दर्जा मिला है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly elections) से पहले मोदी सरकार का यह एक बड़ा फैसला है।
पूरे महाराष्ट्र में इसका स्वागत किया जा रहा है। मराठी भाषा को शास्त्रीय दर्जा मिलने से देश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को भी शास्त्रीय दर्जा दिया है।
कैसे शुरू हुई मराठी भाषा के शास्त्रीय भाषा बनने की यात्रा
केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में भारतीय भाषाओं के विकास और उसके संवर्धन के लिए शास्त्रीय भाषाओं की अलग श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था। भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में शामिल करने के लिए कई शर्तें रखी गई थी । जिसमें भाषाओं के शुरुआती ग्रन्थों और उनके इतिहास की प्राचीनता का होना लाजिमी था। इसी को आधार बनाकर 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजा था। जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा गया था।
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गंभीरता से विचार
वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर पूरी गंभीरता से विचार करने की सलाह दी थी। लेकिन इस दौरान अन्य भाषाओं के लिए भी ऐसे ही प्रस्ताव प्राप्त हुए। आखिरकार केंद्र सरकार ने मराठी के साथ चार अन्य भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया। इसमें पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को भी शामिल किया गया है।
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शास्त्रीय भाषा मिलने से खुलेंगे नए अवसर
मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से मराठी भाषा के प्रति देश भर में सम्मान बढ़ेगा। मराठी भाषा बोलचाल में लोकप्रिय होगी। मराठी भाषा के अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। यह आने वाले समय में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर पैदा करेगा। दिल्ली के मिरांडा हाउस की पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर सोनाली का कहना है कि मराठी भाषा ने दरबारी मराठी और पेशवाई मराठी से शुरू होकर एक लंबी यात्रा की है। यह गर्व का विषय है कि मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है। मराठी भाषा में लोगों को जोड़ने की शक्ति है।
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