Supreme Court: अनुसूचित जातियों में होगा उप-वर्गीकरण ! समीक्षा वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी

शीर्ष अदालत ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं को देखने के बाद, रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है।

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Supreme Court: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर (शुक्रवार) को अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण (Sub-classification of Scheduled Castes) की अनुमति देने वाले फैसले की समीक्षा की मांग (Demand for review) करने वाली याचिकाओं को खारिज (Petitions dismissed) कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कहा कि उसके पहले के फैसले में कोई त्रुटि नहीं थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं को देखने के बाद, रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है। अदालत ने कहा, “समीक्षा के लिए कोई मामला स्थापित नहीं हुआ है। इसलिए, समीक्षा याचिकाओं को खारिज किया जाता है।”

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समीक्षा याचिका दायर
23 सितंबर को वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि उनके संगठन ने अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका दायर की है। पिछले महीने बहुमत के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राज्यों को अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए आरक्षित श्रेणी के अंदर कोटा देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है।

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संविधान पीठ की टिपण्णी
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्यों द्वारा एससी और एसटी के आगे के उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा दिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6:1 बहुमत से कहा कि राज्य एससी श्रेणियों में अधिक पिछड़े लोगों की पहचान कर सकते हैं और कोटे के भीतर अलग कोटा देने के लिए उन्हें उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।

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उप-वर्गीकरण की अनुमति
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण की अनुमति देते समय, राज्य किसी उप-वर्ग के लिए 100% आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकते हैं और राज्यों को उप-वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के संबंध में अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण को उचित ठहराना होगा।

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