अगर अमेरिका में वैक्सीन सस्ती उपलब्ध हो सकती है तो भारत में क्यों नहीं! सर्वोच्च सवाल

देश में वैक्सीन की कीमतों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाए हैं। स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने पूछा है कि अमेरिका में सस्ते में वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सकती है तो भारत में क्यों नहीं?

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देश में वैक्सीन की कीमत को लेकर चल रहे विवाद के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और वैक्सीन निर्माता कंपनियों को कटघरे में खड़ा किया है। न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पूछा है कि अगर एस्ट्राजेनेका टीका अमेरिकियों को सस्ते में आपूर्ति किया जा रहा है, तो भारतीय नागरिकों को अधिक भुगतान क्यों करना चाहिए? सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल दागा है कि अगर भारत में कंपनियां 150 रुपये में वैक्सीन तैयार करती है तो उसे राज्यों को 300 या 400 रुपये में क्यों बेचा जाता है? इसमें 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये का अंतर है। लोगों को इस तरह की परेशानी क्यों झेलनी चाहिए?

टीका निर्माण को लेकर भी उठाए सवाल
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ ने 30 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि केंद्र से धारा 19 और 20 के तहत दवाओं की कीमत को नियंत्रित करने की उम्मीद की जाती है। इसलिए, केंद्र को इसे नियंत्रण में लाना चाहिए। न्यायमूर्ति भट ने एक हलफनामे में कहा, “वैक्सीन के उत्पादन के लिए देश में 10 कंपनियां तैयार हैं। इस स्थिति में उन्हें वैक्सीन बनाने का लाइसेंस क्यों नही दिया जा रहा है।” न्यायालय ने यह भी कहा ,”हम सरकार को आदेश नहीं, बल्कि निर्देश दे रहे हैं।”

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राष्ट्रीय अभियान के रूप में हो टीकाकरण
सर्वोच्च न्यायाल ने कहा,”केंद्र का कहना है, राज्य सरकारें वैक्सीन स्टॉक का 50 प्रतिशत टीका कंपनियों से खरीद सकती हैं। सभी राज्यों को वैक्सीन निर्माताओं द्वारा समान न्याय कैसे दिया जा सकता है? टीकाकरण को राष्ट्रीय अभियान क्यों नहीं माना जा सकता? यहां तक ​​कि अगर वितरण विकेंद्रीकृत है, तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित क्यों नहीं किया जाता है?”

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