Hat-trick in Haryana: किसान,पहलवान, जवान का नहीं चला नारा; कांग्रेस की झूठा नैरेटिव सेट करने की साजिश भी फेल

स्वयं को किसान नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना में जमानत भी नहीं बचा सके।

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Hat-trick in Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है। लेकिन चुनावी नतीजों में हरियाणा (Haryana) में किसानों की राजनीति (farmers’ politics) करने वाले अधिकतर नेता विधानसभा चुनाव (assembly elections) हार गए हैं। किसान यूनियन (farmers union) के नेता गुरनाम सिंह चडूनी (Gurnam Singh Chaduni) की पेहवा विधानसभा सीट (Pehwa assembly seat) से जमानत जब्त हो गई है।

स्वयं को किसान नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना में जमानत भी नहीं बचा सके। किसानों के मसीहा सर छोटू राम के नाती और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह के पुत्र पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह भी चुनाव हार गए। किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने वाले अभय सिंह चौटाला भी चुनाव हार गए।

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हरियाणा में राजनीति चमकाने वाले नेताओं को लगी वोट की चोट
तीन कृषि सुधार कानून के खिलाफ अक्टूबर 2020 से नवंबर 2021 तक चले किसान आंदोलन के दौरान पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने हरियाणा के सिंधु बॉर्डर टिकरी बॉर्डर और झरोदा बॉर्डर पर पक्का मोर्चा खोल दिया था इसके अलावा 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर पंजाब के किसान आज भी मोर्चा संभाले हुए बैठे हैं। लेकिन हरियाणा की जनता ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारो के पक्ष में अपना जनादेश दिया है।

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बीजेपी सफल रही किसानों का मन जीतने में
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा के जाटों में बड़ा वर्ग किसानों का है। ‌ इस बार यह वर्ग भाजपा के पक्ष में आ गया है। छोटी जोत की खेती करने वाले किसानों ने किसान यूनियन की बात नहीं मानी, उन्होंने भाजपा के किसान कल्याण के फैसलों पर मोहर लगाकर उनके नाम पर राजनीतिक करने वाले नेताओं को नजर अंदाज कर दिया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से लेकर इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी ने किसानों को मुद्दा बनाया था।

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