Ratan Tata Death: छोटी उम्र में ही कंपनी की भागदौड़ संभालने में जुटे रतन टाटा, दुनिया में कहलाये नंबर 1!

पद्म विभूषण रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। बुधवार को जब उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उनकी हालत गंभीर थी।

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टाटा समूह (Tata Group) की मूल कंपनी टाटा संस (Tata Sons) के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा (Ratan Tata) का 86 वर्ष की आयु में मुंबई (Mumbai) में निधन हो गया है। रतन टाटा ने देश के अग्रणी औद्योगिक समूह (Leading Industrial Group) टाटा ब्रांड को और अधिक आधुनिक और व्यापक बनाने के लिए काम किया। रतन टाटा ने यह सुनिश्चित किया कि टाटा ब्रांड सभी प्रकार के उत्पादों में दिखे। टाटा केमिकल्स (Tata Chemicals) जैसे विभिन्न उद्योगों में कंपनी का विस्तार किया। रतन टाटा की पहचान देश में टाटा समूह को नवीन उद्योग दृष्टि और उच्च नैतिक मूल्यों (High Ethical Values) वाले उद्यमी के रूप में थी।

बुधवार को जब उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनकी हालत गंभीर थी। अंततः आधी रात को उसकी मृत्यु हो गई। राज्य सरकार द्वारा उनका राजकीय रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाएगा। आइये देखते हैं रतन टाटा की उद्यमशीलता यात्रा।

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1937: सुनू और नवल टाटा के घर रतन टाटा का जन्म हुआ।

1955: आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 17 साल की उम्र में न्यूयॉर्क के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से पढ़ाई छोड़ दी।

1962: वास्तुकार के रूप में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

1962: शुरुआत में दुनिया भर की कुछ प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ काम करने के बाद टाटा समूह में पदार्पण (कुछ समय के लिए लॉस एंजिल्स में जोन्स एंड एम्मन्स के लिए भी काम किया)।

1963: जमशेदपुर में स्टील और ऑटोमोबाइल उद्योग कंपनियों में शुरुआती छह महीने का प्रशिक्षण। उसके बाद टाटा स्टील और टाटा आयरन कंपनी में काम किया।

1965: टिस्को (अब स्टील कंपनी) के इंजीनियरिंग विभाग में तकनीकी अधिकारी के रूप में नियुक्त।

1969: ऑस्ट्रेलिया में टाटा समूह के प्रोजेक्ट में काम किया।

1970: भारत लौटने पर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में नियुक्त किया गये।

1971: नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी के निदेशक।

1974: टाटा संस के निदेशक मंडल में प्रबंध निदेशक के रूप में चुने गए।

1975: हार्वर्ड विश्वविद्यालय से प्रबंधन विज्ञान में पाठ्यक्रम पूरा किया।

1981: टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए, जहां उन्होंने उच्च तकनीक उद्योगों में निवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और टाटा ग्रुप को आधुनिकता की ओर ले गये।

1983: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने टाटा साल्ट ब्रांड विकसित किया। यह भारत में नमक का पहला राष्ट्रीय ब्रांड बन गया और देश में आयोडीन युक्त नमक लाने का सम्मान टाटा समूह को जाता है।

1986: राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया के निदेशक। 1989 में टाटा ने यह पद छोड़ दिया।

25 मार्च 1991: विश्वास टाटा संस और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष बने। रतन टाटा को जेआरडी टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया। देश के इतिहास में साल 1991 अहम है। क्योंकि, इसके बाद से देश की अर्थव्यवस्था खुल गई है और खुली अर्थव्यवस्था में वैश्विक प्रतिस्पर्धा देश में प्रवेश करने वाली थी। भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों से सीधे प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी और उस समय रतन टाटा की पहली चुनौती टाटा समूह को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना था। इसके अलावा टाटा ग्रुप का ढांचा भी बदलना पड़ा। रतन टाटा ने यह काम बहुत अच्छे और अनुशासित ढंग से किया।

1999: रतन टाटा की नजर शुरू से ही टाटा मोटर्स पर थी। रतन टाटा के नेतृत्व में समूह अपने ऑटो कारोबार को अमेरिकी दिग्गज फोर्ड के पास ले गया। फोर्ड ने हैचबैक और छोटी कारों में सहयोग समझौते के टाटा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इतना ही नहीं कंपनी को अपरिपक्व करार दिया गया। लेकिन, रतन टाटा ने इसे अपना अपमान नहीं माना। उसमें से उन्होंने टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित कारों पर ध्यान केंद्रित किया और उद्योग में वृद्धि हुई। टाटा मोटर्स उनकी निजी पसंदीदा कंपनी थी और फिर जगुआर लैंड रोवर को टाटा ने खरीद लिया।

2000: रतन टाटा को देश के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसी समय टाटा समूह ने टेटली टी, कोरस जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का अधिग्रहण किया। इससे टाटा समूह का वैश्विक विस्तार संभव हो सका। इसके साथ ही जगुआर और लैंड रोवर ब्रांडों का अधिग्रहण भी उसी समय शुरू हुआ। टाटा वास्तव में एक वैश्विक ब्रांड बन गया।

2004: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह की कंपनी टीसीएस शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई। अगले 20 सालों में कंपनी की वैल्यू ही 183 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई और यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।

2006: टाटा समूह ने डायरेक्ट-टू-होम टीवी उद्योग में प्रवेश किया। टाटा स्काई इस क्षेत्र में एक अग्रणी नाम है। केबल व्यवसाय में टाटा का प्रवेश रतन टाटा का सपना माना जाता है।

2008: फोर्ड, जिसने टाटा के साथ साझेदारी करने से इनकार कर दिया था, फोर्ड टाटा समूह ने अपने कब्जे में ले लिया। फोर्ड कंपनी उस समय कर्ज में डूबी हुई थी और टाटा समूह ने अपने कर्ज से जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड खरीदे। यह 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डील थी। यह रतन टाटा के करियर की एक नाटकीय घटना है। उसी साल रतन टाटा को देश का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म विभूषण मिला।

दिसंबर 2012: रतन टाटा ने 50 साल के करियर के बाद टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। तब से वह टाटा संस के मानद चेयरमैन बन गए हैं।

2022: टाटा ग्रुप ने एक बार फिर एयर इंडिया को अपने अधीन कर लिया। ग्रुप ने इसके लिए 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए। इस लेन-देन में रतन टाटा की भी हिस्सेदारी थी।

देखें यह वीडियो – 

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