Haryana Assembly Polls: दोस्ती में दुश्मनी, कांग्रेस और आप में ठनी

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हरिशंकर गुप्ता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास शीशमहल से मुख्यमंत्री आतिशी का सामान बाहर फेंकने को सही कदम बताया है।

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Haryana Assembly Polls: कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के बाद एक दूसरे की जानी- दुश्मन बन गई है। ‌ आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कभी हां तो कभी ना हो रहा है। इस बीच कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हरिशंकर गुप्ता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास शीशमहल से मुख्यमंत्री आतिशी का सामान बाहर फेंकने को सही कदम बताया है। वह कहते हैं कि केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाई थी कि वह ना बंगला लेंगे ना गाड़ी लेंगे। अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए ये नौटंकी कर रहे हैं और दिल्ली की जनता को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।

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‘आप’ का कांग्रेस से किनारा
आम आदमी पार्टी ने‌‌ कहा कि दिल्ली में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ कहती हैं कि पिछले 10 वर्ष से दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई सीट नहीं है। फिर भी आप पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटें दी थीं। इसके बावजूद उसने हरियाणा में सहयोगियों को साथ लेना जरूरी नहीं लगा।

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हरियाणा में हार का दर्द
कांग्रेस ने हरियाणा में गठबंधन बनाने के लिए सभी प्रयासों को विफल कर दिया। आम आदमी पार्टी को हरियाणा में करारी हार का दर्द सता रहा है। आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, उन सभी पर हार गईं। वहीं कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से काफी दूर रह गई। इससे सत्तारूढ़ भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता वापसी का रास्ता साफ हो गया।

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लोकसभा चुनाव की स्थिति
आप और कांग्रेस ने हरियाणा में लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में आप‌‌ पार्टी ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे हार का‌ सामना ‌करना पड़ा, जबकि कांग्रेस ने‌ लोकसभा की 10 में से 5 सीटे जीती थी‌ं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का रिश्ता दिलचस्प है। आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस से समझौता नहीं करेगी। पंजाब में भी कांग्रेस को हराकर पंजाब में आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली। ‌लेकिन हरियाणा‌ में कांग्रेस से गठबंधन को लेकर लेकर इतनी हाय तौबा मचा रही है।

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कांग्रेस ने भी कसी कमर
आम आदमी पार्टी से कांग्रेस को धोखा मिलने के बाद कांग्रेस ने अकेले चलने का निर्णय लिया है और दिल्ली की दुर्दशा के लिए केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि केजरीवाल के झूठे वादों और खोखली बयानबाजी से दिल्ली का सर्वनाश हो गया है। लोग बेरोजगारी, महंगाई, पानी, बिजली ,सड़क , प्रदूषण जैसी समस्याओं से त्रस्त हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव कहते हैं कि हरियाणा में बुरी तरह हार के बाद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को समझ में आ गया है कि उनका अस्तित्व अब दिल्ली में भी बचने वाला नहीं है। इसलिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता की सहानुभूति लेने का प्रयास शुरू कर दिया है।

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हरियाणा में आप का हाल
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में इतनी बुरी हार से आम आदमी पार्टी नेताओं का सिर चकरा रहा है। पूरी ताकत लगा देने के बाद भी दो प्रतिशत से भी कम यानी केवल 1.79 प्रतिशत मिले।
साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 0.5 प्रतिशत वोट मिले थे ।आम आदमी पार्टी ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ‌ हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 3.9 प्रतिशत वोट मिले थे । लेकिन इस बार केजरीवाल के धुआंधार प्रचार के बावजूद हरियाणा में आम आदमी पार्टी के 88 में से 87 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। सिर्फ दो सीटों पर ही पार्टी उम्मीदवारों को 10 हजार से अधिक वोट मिल सके। मूल रूप से भिवानी में सिवानी के रहने वाले केजरीवाल ने हरियाणा में दर्जनों रैलियां कीं और खुद को ‘हरियाणा का लाल’ बताकर वोट मांगे। शराब घोटाले में जांच का सामना कर रहे और जमानत पर जेल से बाहर अरविंद केजरीवाल ने ईमानदार सरकार देने का वादा किया लेकिन जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं दिखाया।

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दिल्ली और हरियाणा में संबंध
हरियाणा वह राज्य है, जिसकी सीमा दिल्ली की सीमा से लगी हुई है। पंजाब से भी हरियाणा की सीमा लगती है। दिल्ली  के बाद पंजाब में भी आप पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है । दिल्ली में रह रही एक बड़ी आबादी का हरियाणा से संबंध है । प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग हरियाणा से दिल्ली काम-धंधे के लिए आवागमन करते हैं। दिल्ली सरकार की मुख्य सुविधाएं भी ले रहे हैं । उनके परिवार के तमाम लोग अभी हरियाणा में हैं। दिल्ली सरकार की सुविधाओं को उनके बीच चर्चा होती है।

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राजधानी में त्रिकोणीय मुकाबला
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने से दिल्ली में राजनीतिक समीकरण काफी बदल जाएंगे क्योंकि तीन प्रमुख पार्टियों आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस मुकाबले की तैयारी में जुटी हैं। ऐतिहासिक रूप से दिल्ली में भाजपा की यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है। भाजपा 26 साल से दिल्ली की सत्ता में लौटने के लिए तरस रही है। ‌दिल्ली में इस बार त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई में भाजपा की रणनीति को मदद मिल‌ सकती है।‌ लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पास एक समर्थित वोट बैंक है। खासकर दिल्ली के गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग आम आदमी पार्टी के साथ एक जुड़ाव महसूस करते हैं। केजरीवाल की फ्री रेवड़ियां देने की नीति एक खास वर्ग को तो जोड़ लिया है। लेकिन दिल्ली में जन सुविधाओं को लेकर स्थिति बिगड़ती जा रही है। स्थिति को देखते हुए इस बार दिल्ली मे भाजपा को लाभ मिलने का अनुमान है।

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