NCPCR: मदरसों को फंड देना बंद करो! जानिये, NCPCR ने राज्यों से क्यों की यह सिफारिश

मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद की जाए। गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से बाहर कर देना चाहिए। यह सिफारिश NCPCR ने की है।

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NCPCR द्वाका यह सुझाव ‘बच्चों के अधिकार बनाम मदरसे’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट तैयार करने के बाद दिया गया है।एनसीपीसीआर ने कहा कि मदरसे पूरी तरह से धार्मिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित हैं, इसलिए बच्चों को वह शिक्षा नहीं मिल पाती है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। इस कारण वे अन्य बच्चों से पिछड़ जाते हैं।

बाल आयोग की 3 सिफारिश
मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद की जाए। गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से बाहर कर देना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 28 के अनुसार, माता-पिता की सहमति के बिना किसी भी बच्चे को धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। राष्ट्रीय धार्मिक एवं बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर मदरसों को फंडिंग बंद करने को कहा है। ये शिक्षा का अधिकार (आरटीई) मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।

यूपी मदरसा एक्ट पर विवाद
5 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक घोषित करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। साथ ही केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले का असर 17 लाख छात्रों पर पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने के लिए कहना उचित नहीं है।

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यूपी मदरसा एक्ट को 22 मार्च असंवैधानिक
दरअसल, यूपी मदरसा एक्ट को 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कोर्ट ने कहा, यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। 11 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. मदरसा बोर्ड की याचिका पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं है। यह कहना गलत होगा कि यह मदरसा कानून धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है। यूपी सरकार ने हाई कोर्ट में भी मदरसा एक्ट का बचाव किया था। इस पर जवाब देते हुए यूपी सरकार की ओर से एएसजी केएम नटराज ने कहा, ”हमने हाईकोर्ट में कानून का बचाव जरूर किया, लेकिन कोर्ट ने कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया।” इसके बाद हमने कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार कर लिया है।’

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