Maritime Security: कंगाल पाकिस्तान बढ़ा रहा है सैनिक ताकत, नौसेना प्रमुख ने कहा- हम रख रहे हैं पैनी नजर

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि चिंता की बात से कहीं अधिक यह आश्चर्यजनक है कि जो लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय सहायता की भीख मांग रही है, वह अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन कैसे जुटा सकती है।

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Maritime Security: नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी(Navy Chief Admiral Dinesh K. Tripathi) ने पाकिस्तान(Pakistan) को चीन से उपकरण और हथियार सहायता(Equipment and weapons assistance from China) मिलने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा(Maritime Security) और हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों(National maritime interest) से समझौता न होने पाए, इसके लिए हमने एक रणनीति बनाई है। पड़ोसी चीन(Neighbor China) की बढ़ती नौसेना के बारे में उन्होंने कहा कि यह संख्या बल के मामले में सबसे बड़ी नौसेना(Largest navy) बन गई है। हिन्द महासागर(Indian Ocean) में बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर हम चीनी नौसेना पर भी नजर रख रहे हैं।

बहुउद्देशीय सपोर्ट शिप ‘समर्थक’ को लॉन्च
नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी ने 14 अक्टूबर को चेन्नई से करीब 40 किलोमीटर दूर लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के कट्टुपल्ली शिपयार्ड में बहुउद्देशीय सपोर्ट शिप ‘समर्थक’ को लॉन्च किया। यह पहला ऐसा जहाज है, जिसे रक्षा और सुरक्षा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह युद्ध और निगरानी में ड्रोन तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के लिए एक समाधान है। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इन बहुउद्देशीय जहाजों से नौसेना के शस्त्रागार की क्षमता बढ़ेगी। ये जहाज लगभग 3,600 टन के हैं और इनका इस्तेमाल कई गतिविधियों के लिए किया जाएगा, जिसमें स्वदेशी हथियारों, सेंसर और उपकरणों का परीक्षण शामिल होगा।

नौसेना प्रमुख ने बताया आश्चर्य की बात
पाकिस्तान को चीन से उपकरण और हथियार सहायता मिलने के बारे में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि चिंता की बात से कहीं अधिक यह आश्चर्यजनक है कि जो लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय सहायता की भीख मांग रही है, वह अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन कैसे जुटा सकती है। हम पाकिस्तान की नौसेना में क्या हो रहा है, इस पर नजर रख रहे हैं। उन्हें विभिन्न स्रोतों से किस तरह के हथियार और प्लेटफॉर्म मिल रहे हैं और हमने यह सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीति बनाई है कि क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों से समझौता न हो। जहां तक ​​चीन का सवाल है, तो यह संख्या के मामले में सबसे बड़ी नौसेना बन गई है। हम इस पर भी नजर रख रहे हैं।

इस वर्ष  मिलेगा छह पनडुब्बियां
नौसेना प्रमुख ने कहा कि 1999 में सरकार ने 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना को मंजूरी दी थी और हम उसी के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में पी-75 परियोजना पूरी होने के बाद इस वर्ष छह पनडुब्बियां मिलने जा रही हैं। हम आगे बढ़ेंगे और जरूरत के लिहाज से 18 पनडुब्बियों की वांछित ताकत भी पूरी होगी। उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय शिपयार्ड में 63 जहाज बनाए जा रहे हैं, जिनमें डीपीएसयू, पीएसयू और एलएंडटी जैसे निजी उद्योग भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना 2047 तक पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर’ बल बन जाएगी। मुझे नहीं लगता कि सतह से लेकर उप-सतह तक कोई और प्लेटफ़ॉर्म विदेश से खरीदा जाएगा। वे सभी भारत में बनाए जाएंगे।

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1 शिकारी ड्रोनों को मंजूरी
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 31 शिकारी ड्रोनों को मंजूरी दी है, जिनमें 15 नौसेना को मिलेंगे। ये बहुत ही सक्षम प्लेटफ़ॉर्म हैं, ताकि हम जान सकें कि कौन क्या और क्यों कर रहा है। इनके जरिए हम यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि समग्र समुद्री सुरक्षा के हिस्से के रूप में भारतीय नौसेना के क्षेत्र में क्या हो रहा है। उन्होंने बताया कि अमेरिका से पट्टे पर मिले ड्रोन के जरिए हमने कुछ महीने पहले माल्टा के व्यापारिक जहाज एमवी रुएन से 17 चालक दल को बचाया और 35 समुद्री डाकुओं को पकड़ा। इस ड्रोन का उपयोग उस जहाज की निगरानी और ट्रैक करने के लिए बहुत व्यापक रूप से किया गया था, इसीलिए हम पैरा-ड्रॉप सैनिकों के साथ मिलकर अपने तट से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर कार्रवाई कर सके।

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