Assembly elections: केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। उन्होंने विधानसभा के साथ-साथ दो लोकसभा उपचुनावों की भी घोषणा की। मराठवाड़ा की नांदेड़ लोकसभा सीट से सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली हुई सीट पर 20 नवंबर को विधानसभा के साथ लोकसभा चुनाव भी होंगे।
लोकसभा से पहले तत्कालीन कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी वसंतराव चव्हाण ने कांग्रेस का गढ़ बरकरार रखा था, इसकी चर्चा पूरे राज्य में हुई थी। अब एक बार फिर कांग्रेस के सामने नांदेड़ लोकसभा का गढ़ बरकरार रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। अशोक चव्हाण के सामने भी चुनौती है। पिछली परीक्षा में फेल हुए अशोक चव्हाण के पास इस बार कमाल दिखाने का मौका है।
लोकसभा चुनाव से पहले थाम लिया भाजपा का दामन
लोकसभा से पहले बीजेपी में शामिल हुए और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले अशोक चव्हाण पर नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव में बड़ी जिम्मेदारी होगी। दिवंगत वसंत चव्हाण के बाद चिरंजीवी को इस उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से नामांकन दिलाने की बात कही जा रही है। वह पहले ही पार्टी नेताओं के सामने अपनी दावेदारी जता चुके हैं, हालांकि कांग्रेस में कई दावेदार हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने वसंतराव चव्हाण के बेटे रवींद्र चव्हाण को उम्मीदवारी देने का फैसला किया है। भाजपा छह महीने पहले अपनी हार का प्रायश्चित करने की कोशिश करेगी, इसलिए निर्विरोध चुनाव की कोई संभावना नहीं है। प्रताप पाटील चिखलीकर बीजेपी के सबसे मजबूत दावेदार हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार की हुई थी जीत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार वसंतराव चव्हाण को 5 लाख 28 हजार वोट मिले, जबकि बीजेपी के पराजित उम्मीदवार प्रताप पाटील चिखलीकर को 4 लाख 69 हजार वोट मिले। माना जा रहा है कि इसमें एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय ने एक साथ वोट किया है, जबकि माना जाता है कि ओबीसी समुदाय बड़े पैमाने पर बीजेपी को वोट देता है। इस बार वंचित बहुजन अघाड़ी भी उम्मीदवार बनने जा रही है। इसलिए संभावना है कि इसका फायदा भी बीजेपी को मिलेगा। वहीं, इसी दिन विधानसभा चुनाव भी होंगे। इसलिए संभावना है कि महाविकास अघाड़ी में शिवसेना ठाकरे समूह और राष्ट्रवादी शरद पवार समूह नांदेड़ में विधानसभा सीटों की मांग करेंगे। अगर यहां सहयोगी पार्टियों की मांगें नहीं मानी गईं तो लोकसभा में जिस तरह से तीनों पार्टियां एक साथ आईं और उपचुनाव में क्या तस्वीर रहेगी, ये भी अहम मुद्दा है, इसलिए कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा।
अशोक चव्हाण ने बढ़ाई ताकत
कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अशोक चव्हाण की नांदेड़ लोकसभा क्षेत्र में ताकत खत्म हो गई है। लेकिन फिर अशोक चव्हाण ने अपनी रणनीति बदली और गांवों में छोटे-छोटे कार्यक्रमों में शामिल होना और आम कार्यकर्ताओं से सीधे मिलना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी श्रीजया को अपने पारंपरिक विधानसभा क्षेत्र भोकर से बीजेपी से उम्मीदवार बनाने की कोशिश भी शुरू कर दी है। इस साल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ-साथ नांदेड़ लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी भी अशोक चव्हाण की है।