जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की याचिका (Petition) पर गुरुवार (17 अक्टूबर) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई की मांग की गई। वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 पर फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा समयबद्ध तरीके से बहाल करने का निर्देश दिया था। उसके बाद कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई का भरोसा दिया।
याचिका में केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा देने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका में सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए आश्वासन का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
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याचिका कॉलेज शिक्षक जहूर अहमद भट्ट और एक्टिविस्ट खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए। इससे यह पता चलता है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में समस्या नहीं है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद की मूल विशेषता का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि सॉलिसिटर जनरल के दिए गए आश्वासन और अनुच्छेद 370 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पिछले 11 महीनों से इस संबंध में केंद्र की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है। जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने में केंद्र की विफलता घाटी के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
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