CRPF School Blast: दिल्ली ब्लास्ट कहीं बड़ी साजिश का ट्रायल तो नहीं? यहां पढ़ें

यह भी हो सकता है कि वो हमारी जांच एजेंसियों की जांच को भी परखना चाहते हों? ऐसी आंशका इसलिए जग रही है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने भी किसी बड़ी साजिश से फिलहाल इनकार नहीं किया है। 

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-डॉ. रमेश ठाकुर

CRPF School Blast: करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन और दीपावली त्योहार (Diwali Festival) के समय दिल्ली में ब्लास्ट (Blast in Delhi) होने की घटना को सामान्य तो कतई नहीं कहा जाएगा। हो सकता है, इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का ट्रायल किया गया हो? शायद दहशतगर्द या आतंकी संगठन ये देखना चाहते हों कि बम के ट्रायल पर दिल्ली की कानून-व्यवस्था (Law and Order) कितनी चाक-चौबंद है और जांच तंत्र क्या रिएक्ट करेगा?

यह भी हो सकता है कि वो हमारी जांच एजेंसियों की जांच को भी परखना चाहते हों? ऐसी आंशका इसलिए जग रही है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने भी किसी बड़ी साजिश से फिलहाल इनकार नहीं किया है।

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पहले और इस बार की घटना में फर्क
दिल्ली में पहले भी कई मर्तबा बम ब्लास्ट और आतंकी घटनाएं हुई हैं। पर, उनमें और इस घटना में कुछ फर्क है। 20 अक्टूबर को सुबह फटे बम के बाद दूर-दूर तक धुआं ही धुआं फैल गया। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई। तेज बदबू इलाके में फैल गई। आसपास के घरों की नींव भूकंप की भांति हिल गई।

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एजेंसियों पर सवाल
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय की खुफिया एजेंसी आईबी के पास इस तरह के इनपुट थे कि त्योहारों के वक्त दिल्ली-एनसीआर में कहीं न कहीं कोई आतंकी घटना घटने की आशंका है। कमोबेश वैसा होता भी दिखाई दिया। खुफिया इनपुट के बावजूद अगर ऐसी घटना घटती है तो कानून तंत्र, खुफिया विभाग, एंटी टेरर विंग पर सवालिया निशान उठना लाजिमी हो जाता है। अगर वह गहरी नींद में न सोते, तो ये हादसा शायद नहीं होता। पर, अकसर होता यही है जिम्मेदार एजेंसियां इस तरह की नाकामी कभी अपने पर नहीं लेतीं। दिल्ली में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। बॉर्डर पर किसानों का पहरा है। भीड़भाड़ तो सदैव दिल्ली में रहती ही है। इसके अलावा पूरी केंद्र सरकार, ब्यूरोक्रेट लॉबी सभी यहीं बसती है। इसलिए देश की राजधानी दिल्ली में खुफिया एजेंसियों और कानून तंत्र को चौबीसों घंटे चौकन्ना रहना चाहिए। पर, अफसोस ऐसा होता नहीं? दहशतगर्द उनकी नाक के नीचे घटनाओं को अंजाम देकर चुपके से निकल जाते हैं, उसके बाद जांच के नाम पर लाठी पीटी जाती है। फिलहाल, ऐसी बातों पर गौर न कर, मौजूदा घटना की जड़ तक पहुंचने की आवश्यकता है।

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पुलिस को अंदेशा
गनीमत ये समझा जाए कि घटना का दिन रविवार था। जिस सीआरपीएफ स्कूल की बाउंड्री के पास ब्लास्ट हुआ, वो बंद था। साथ ही वक्त सुबह का था और स्थानीय लोगों की आवाजाही भी न के बराबर थी। खुदा न खास्ता अगर ये घटना वर्किंग डे में हुई होती, तो जानमाल के नुकसान का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। एकाएक दिमाग में सभी के यही आ रहा है कि कहीं कानून-व्यवस्था की तैयारियों का जायजा तो नहीं लेना चाहते थे बम ब्लास्ट करके आतंकी? ऐसे अंदेशा पुलिस को भी है। पर जो भी हो, रविवार तड़के स्कूल के बाहर फटे इस बम की तेज आवाज ने पूरी दिल्ली में दहशत जरूर फैला दी है। घटना के वक्त आधी दिल्ली सोई हुई थी। पुलिस ने एहतियातन पूरी दिल्ली को अलर्ट पर रखा है और सर्तकता बढ़ा दी है।

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दूर तक सुनी गई आवाज
यह घटना सुबह करीब 7 बजे के आसपास हुई। एनएसजी, एंटी टेरर विभाग, दिल्ली पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां पड़ताल में एक्टिव हैं। सफेद रंग की कुछ पुड़िया और ज्वलंत पदार्थ सामग्री बरामद की गई है। शुरुआती जांच में बम देशी बताया गया है। लेकिन उसकी क्षमता से एजेंसियों का दिमाग चकराया हुआ है। अमूमन देसी बमों में इतनी ताकत और तेज आवाज नहीं होती। इसलिए हादसा दूसरी ओर भी इशारा करता है। घटना रोहिणी जिले के प्रशांत विहार स्थित सीआरपीएफ स्कूल के बाहर घटी। स्कूल में ज्यादातर छात्र डिफेंस से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के पढ़ते हैं। हादसे के संदेश क्या हैं? ये तो जांच की थ्योरी से ही पता चलेगा? लेकिन दिल्ली वासियों में दहशत अच्छी-खासी पैदा हो गई है। खासकर उस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और अभिभावकों में। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि जब बम फटा तो उसकी आवाज 200-250 मीटर तक सुनाई दी। चारों ओर धुआं ही धुआं दिखा। धमाके से गंदी बदबू भी फैली, जो जांच एजेंसियों के लिए पहेली बनी हुई है। धमाके से आसपास खड़ी गाड़ियों के शीशे चटक गए और दुकानों को भी नुकसान हुआ।

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ब्लास्ट की घटना पर राजनीति शुरू
अंत में जो नहीं होना चाहिए, वह होना आरंभ हुआ। ब्लास्ट की घटना पर राजनीति भी शुरू हो गई है। प्रदेश की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए दिल्ली की कानून-व्यवस्था को रामभरोसे बता दिया। उन्होंने कहा कि जब आईबी के पास इनपुट पहले से थे कि दिवाली से पहले दिल्ली में कोई हादसा हो सकता है, तो फिर केंद्र सरकार और उनकी पुलिस क्यों सतर्क नहीं हुई? लेकिन ऐसे मौकों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, बल्कि एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। घटनाएं कहीं भी हो सकती हैं। रोकने में कमियां कहां रह गईं और बेहतर क्या किया जाना चाहिए? उसपर मंथन करना चाहिए। खुफिया विभाग और स्थानीय रक्षा तंत्र की नाकामी तो है ही? जो सामने भी दिख रही है। फिलहाल दिल्ली के सभी जिले अलर्ट पर हैं। शुरुआती जांच में दिल्ली पुलिस ने किसी साजिश से इनकार नहीं करते हुए एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल करेगी।

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