और केरल की वो एक सीट भी छिन गई!

केरल विधान सभा चुनावों में एंटी इन्कबेन्सी फैक्टर इस बार फेल हो गया है। एलडीएफ अपनी सत्ता को बनाए रखने में सफल रही है।

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केरल के चुनावों ने एलडीएफ ने अपनी दमदार वापसी की है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में राज्य की जनता ने विश्वास व्यक्त किया। वहीं इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपनी एकमात्र सीट नहीं बचा पाई और मेट्रो मैन का भी चुनावी प्रयत्न डिरेल हो गया।

देश में तीन राज्यों में सत्तासीन पार्टियों ने अपना कुनबा बचा लिया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने बंपर जीत दर्ज की है। तृणमूल की प्रमुख प्रतिद्वंदी भारतीय जानता पार्टी ने भी 20016 के चुनावों में मिले तीन सीटों से इस बार सत्तर से अधिक सीटें प्राप्त कर ली हैं। जबकि वामपंथी मोर्चा का सूपड़ा ही साफ हो गया है। कांग्रेस की गति भी वही है। असम में भारतीय जनता पार्टी सत्ता बचाने में सफल रही है। तो केरल में पिनराई विजयन की विजय ने अगले पांच साल के लिए सत्ता का हकदार बना दिया।

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केरल में एलडीएफ की विजय में कांग्रेस नीत यूएडीएफ के सपनों पर पानी फेर दिया है। वहां पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन का पैटर्न रहा है, लेकिन एलडीएफ ने इस बार इस पैटर्न को तोड़ दिया है। इसमें एक नुकसान भाजपा को भी हुआ है।

अकेली सीट भी गई
नेमोम विधान सभा सीट से खड़े उसके उम्मीदवार कुमानम राजशेखरन को हार का सामना करना पड़ा। वे 2016 के चुनावों में इस सीट से विजयी भाजपा उम्मीदवार ओ राजागोपाल के क्रम को सफल नहीं रख पाए। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मेट्रो मैन ई श्रीधर भी पलक्कड़ सीट से चुनाव मैदान में थे। इसके अलावा अभिनेता सुरेश गोपी त्रिशूर सीट से खड़े थे, पूर्व मंत्री केजे अल्फोंस कांजीरप्पल्ली से खड़े थे, प्रदेश भाजपा अध्य्क्ष के सुरेंद्रन मांजेश्वरम व कोन्नी सीट से खड़े थे लेकिन सब के सब हार गए।

प्रचार में लगाया था दम
विधान सभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा अमित साह, निर्मला सीतारमण, राजनाथ सिंह ने चुनाव प्रचार किया था। इसमें लव जिहाद और सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर उठे विवादों को प्रमुखता से उठाया गया था। लेकिन इसे सफलता नहीं मिल पाई। भारतीय जनता पार्टी को आशा थी कि पिछले वर्ष हुए स्थानीय निकाय चुनाव में उसे मिली सफलता को वह विधान सभा चुनाव में रख पाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिसके कारण 35 सीटों का दावा करनेवाली भाजपा को एक भी सीट पर विजय नहीं मिली।

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