मुंबई (Mumbai) की 36 विधानसभा सीटों (Assembly Seats) के लिए जंग जोरों पर है। सभी पार्टियां (Parties) जोर-शोर से प्रचार कर रही हैं। वहीं महायुति (Mahayuti) और महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) ने मुंबई की 36 विधानसभाओं के लिए उम्मीदवारों (Candidates) के नामों की घोषणा की। महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस को मुंबई की 36 में से 11 सीटें मिलीं। लेकिन इन 11 सीटों में से सिर्फ 2 सीटों पर कांग्रेस ने मराठी उम्मीदवार (Marathi Candidates) उतारे हैं। कांग्रेस ने 4 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार (Muslim Candidates) उतारे हैं।
कांग्रेस को मुंबई की कोलाबा (हीरा देवासी), मुंबा देवी (अमीन पटेल), धारावी (ज्योति गायकवाड़), चांदीवली (नसीम खान), मलाड (असलम शेख), बांद्रा पूर्व (आसिफ जकारिया), अंधेरी पश्चिम (अशोक जाधव), कांदिवली (कालू बुधेलिया), चारकोप (यशवंत सिंह), शिव-कोलीवाड़ा (गणेश यादव), मुलुंड (राकेश शेट्टी) निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार दिए हैं। अंधेरी पश्चिम से केवल मराठी उम्मीदवार अशोक जाधव और धारावी से ज्योति गायकवाड़ को कांग्रेस ने मौका दिया है। इसके विपरीत, कांग्रेस ने चांदीवली में मुस्लिम उम्मीदवारों नसीम खान, मुंबा देवी में अमीन पटेल, मलाड में असलम शेख, बांद्रा में आसिफ जकारिया को मौका दिया है।
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उबाठा पर राजनीतिक हलकों से आलोचना
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि इसमें शिवसेना उबाठा गुट की क्या भूमिका है। क्योंकि, शिवसेना का गठन 1966 में मराठी लोगों के न्याय और भूमि पुत्रों के लिए किया गया था। लेकिन 2019 में उबाठा ग्रुप ने कांग्रेस का साथ दिया और मराठी और हिंदुत्व के मुद्दे को दरकिनार कर दिया। इसमें मुंबई में 11 निर्वाचन क्षेत्र उबाठा समूह, जिसे आज मराठी लोगों का भाग्य कहा जाता है, सीट आवंटन समझौते में हार का सामना करना पड़ा। साथ ही कांग्रेस ने 11 में से 2 सीटों पर मराठी उम्मीदवार उतारकर उबाठा के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। वहीं, उबाठा ग्रुप पर मराठी मानुष के अधिकारों का मुद्दा कहां चला गया? ऐसा सवाल राजनीतिक गलियारों से पूछा जा रहा है।
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