उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में डीजीपी (DGP) की नियुक्ति (Appointment) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) की नियुक्ति के लिए नई नियमावली (New Rules) तैयार की है। जिसे योगी सरकार (Yogi Government) की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस तरह डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है।
दरअसल, अब तक संघ लोक सेवा आयोग को नामों का पैनल भेजा जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था बदल गई है। अब यूपी तय करेगा कि डीजीपी कौन बनेगा? डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की खबर सामने आते ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना किसी का नाम लिए योगी सरकार पर निशाना साधा।
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अखिलेश यादव का ट्वीट
अखिलेश ने कहा कि ‘मैंने सुना है कि किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है। सवाल यह है कि व्यवस्था बनाने वाला व्यक्ति खुद 2 साल तक रहेगा या नहीं। सपा प्रमुख ने आगे कहा कि क्या यह दिल्ली के हाथों से बागडोर छीनने की कोशिश है।
स्थायी डीजीपी के लिए भेजना होता है पैनल
दरअसल, स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए अधिकारियों के नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजना होता है। आयोग इनमें से तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का चयन करता है और राज्य सरकार को उनमें से एक को चुनने का विकल्प देता है। विजिलेंस क्लीयरेंस के बाद राज्य सरकार तीनों में से उपयुक्त अधिकारी का चयन करती है।
योगी सरकार की कैबिनेट ने दी मंजूरी
नए नियमों के अनुसार, अब सरकार खुद ही डीजीपी की नियुक्ति करेगी और न्यूनतम कार्यकाल 2 साल का होगा। डीजीपी की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में नामांकन समिति गठित की जाएगी।
बता दें कि यूपी में डीजीपी के चयन के लिए यूपी पुलिस बल प्रमुख चयन एवं नियमावली 2024 को कैबिनेट में मंजूरी दे दी गई है। अब डीजीपी का चयन हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। एक बार चयनित होने के बाद डीजीपी को 2 साल का कार्यकाल मिलेगा। इसके लिए चयन के समय 6 महीने की सेवा शेष होना जरूरी होगा।
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