Toolkit:अक्टूबर 2023 में दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में न्यूजक्लिक मीडिया कंपनी के मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले न्यूजक्लिक परिसर और न्यूज पोर्टल से जुड़े पत्रकारों और कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी करने के दौरान पुलिस ने इनके खिलाफ पूरी जानकारी और सबूत जमा किए थे।
पुलिस का आरोप था कि कंपनी के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और अमेरिकी टेक मुगल नेविल रॉय सिंघम के बीच ईमेल के आदान-प्रदान के सबूत है। इसमें यह षड्यंत्र रचने को लेकर बात की गई थी कि भारत का एक ऐसा नक्शा बनाया जाएगा, जिसमें कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र बताया जाएगा।
गलत नक्शा बनाने के लिए115 करोड़ की विदेशी फंडिंग
पुलिस ने इस मामले में दावा किया था कि अमित चक्रवर्ती को नक्शा बनाने के लिए 115 करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग हुई थी। इसके साथ ही पुलिस ने दावा किया था कि 2018 से 2023 तक कंपनी को अवैध रूप से करोड़ों रुपए की विदेशी फंडिंग की गई थी। बताया गया था कि नेविल रॉय सिंघम ने कई संस्थाओं के माध्यम से कंपनी को अवैध तरीके से धन उपलब्ध कराए थे। बाद में इस मामले में न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन पर चीन के इशारे और फंडिंग पर देशविरोधी काम करने का आरोप लगा था।
कई फर्जी मीडिया कंपनियां
देश में आज भी कई फर्जी मीडिया कंपनियां हैं, जो चीन, पाकिस्तान और अन्य दुश्मन देशों की फंडिंग से देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। ये तथाकथित मीडिया हाउस देश के दुश्मनों के इशारे पर काम कर अपने ही देश से गद्दारी करते हैं। ये फर्जी मीडिया कंपनियां आतंकियों, खालिस्तान समर्थकों और अन्य देशविरोधियों की मदद कर देश के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं।
गोपनीय जानकारी कर रहे हैं लीक
इस तरह की मीडिया कंपनियां अर्बन नक्सल के दूसरे रूप हैं। मीडिया के नाम पर लिखने-पढ़ने की छूट का नाजायज लाभ उठाकर ये देश की गोपनीयता और जानकारी को बेच रहे हैं। तथाकथित ये मीडिया हाउस और पत्रकार बेसिर पैर की खबरें छापकर देश औऱ समाज को भारी नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
खबर को सही साबित करने का प्रयास
इसी करह के एक वेब पोर्टल ने नवंबर में एक खबर छापी है। इस खबर में यह साबित करने का असफल प्रयास किया गया है, कि वर्तमान एनडीए सरकार में तालमेल का काफी अभाव है और इनके बीच काफी खींचतान चल रही है। यह बात अलग है कि इस स्टोरी में कुछ भी अधिकृत रूप से साबित नहीं किया जा सका है।
एनएसए और गृह मंत्रालय में खींचतान का दावा
पोर्टल पर यह दावा किया गया है कि नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के बीच काफी लड़ाई चल रही है। यह रस्साकशी राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के नए प्रमुख की नियुक्ति को लेकर चलने का दावा किया गया है, जिसका नेतृत्व फिलहाल केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण सिन्हा कर रहे हैं। सिन्हा, जो छह महीने के विस्तार पर हैं और 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे, को 31 दिसंबर तक दो महीने का एक और कार्यकाल मिला है। भारत की तकनीकी खुफिया शाखा एनटीआरओ, पीएमओ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद रिपोर्ट करती है। लेकिन अमित शाह के गृह मंत्रालय एनएसए के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है।
सूत्रों का हवाला
इसके लिए बताया गया है कि पिछले महीने, पीएमओ ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रमुख अनीश दयाल सिंह की फाइल लौटा दी, जिनकी दावेदारी कथित तौर पर गृह मंत्रालय में एनएसए द्वारा आगे बढ़ाई जा रही थी और जिनकी नियुक्ति तय मानी जा रही थी। हालांकि इस दावे की पुष्टि के लिए कोई भी रिकॉर्ड या प्रमाण नहीं दिया गया है। पोर्टल ने सूत्रों के हवाले से सूचना मिलने का दावा कर कानूनी दांवपेंच से बचने की कोशिश की है।
गृह मंत्रालय पर आरोप
इससे पहले सितंबर में डोभाल की एनएससी द्वारा दो नामों की सिफारिश किए जाने का दावा किया गया है। रेलवे सुरक्षा बल के प्रमुख मनोज यादव और उस समय जम्मू-कश्मीर में सीआईडी की विशेष महानिदेशक रश्मि रंजन स्वैन का नाम इनमें शामिल है। दावा किया गया है कि गृह मंत्रालय ने इस आधार पर यादव को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया कि अधिकारी अपरिहार्य थे। हरियाणा पुलिस के पूर्व प्रमुख यादव उस समय राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के साथ मतभेद के बाद आईबी में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर वापस चले गए थे। हालांकि खबर में यह जानकारी सूत्रों का सहारा लिया गया है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि तत्कालीन जम्मू-कश्मीर कैडर के 1991 बैच के अधिकारी स्वैन, जिन्होंने रॉ में 15 साल तक सेवा की थी, भी अपरिहार्य थे। अगले महीने, स्वैन को जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक के रूप में अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया, जब 31 अक्टूबर को दिलबाग सिंह सेवानिवृत्त हुए। उन्हें इस अगस्त में पद पर पुष्टि की गई और पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए।
इसी तरह के बेमतलब के दावे कर रिपोर्ट में यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय में खींचतान चल रही है। इसी तरह गृह मंत्रालय और पीएमओ में भी अधिकार को लेकर रस्साकशी चलने का दावा किया है लेकिन रिपोर्ट में हर स्थान पर सूत्रों का सहारा लिया गया है।
यह बात स्पष्ट है कि पीएमओ, गृह मंत्रालय दोनों अलग-अगल मंत्रालय हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि जरुरत पड़ने पर पीएमओ इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पास सलाह और सुझाव देने का अधिकार है। वे पीएमओ और गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना कोई बड़ा निर्णय नहीं ले सकते। इस तरह अधिकारों का बंटवारा किया गया है। इसमें किसी का सुझाव नहीं भी माना जा सकता है।
दुश्मन देशों की टूलकिट
इस तरह की खबरें देकर इस तरह के मीडिया हाउस सरकार विरोधियों को खुश कर उनसे धन प्राप्त करने के लिए देते हैं। फंडिंग करने वाले देश और लोगों को खुश करने के लिए ये पोर्टल बिना खबर के खबर बनाते हैं। जिनका इनके पास कोईन प्रमाण नहीं होता। इस तरह के पोर्टल पर जब पुलिस और खुफिया एजेंसियां कार्रवाई करती हैं, तो विपक्ष इनके बचाव में राजनीति करना शुरू कर देता है। लेकिन यह निश्चित है कि इस तरह के मीडिया हाउस देश और समाज के लिए किसी आंतकी संगठन के कम खतरनाक नहीं हैं।