Jammu & Kashmir: यासीन मलिक की पत्नी को क्यों याद आए राहुल गांधी! यहां पढ़ें

मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की सहायक रह चुकी मुशाल हुसैन यह दावा करती हैं कि उनका पति जम्मू -कश्मीर में शांति कायम करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

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-डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Jammu & Kashmir: आप अपने दुख और सुख में उसे ही स्‍मरण करते हैं, जिनसे आपका अपार स्‍नेह हो या किसी प्रकार का विशेष लगाव हो। दरअसल, आतंकी फंडिंग मामले (terror funding case) में जेल में बंद जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu-Kashmir Liberation Front) (जेकेएलएफ) प्रमुख (JKLF chief) यासीन मलिक (Yasin Malik) की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक (Mushal Hussain Malik) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पत्र लिखा है। अब सारे संदेह यहीं से शुरू होते हैं ।

यदि आतंकी की पत्नी को अपने पति के लिए किसी प्रकार का जेल में सहयोग एवं समर्थन चाहिए था तो वे राष्‍ट्रपति के पास अपनी अर्जी लगा सकती थीं, वे चाहतीं तो अपने पति के लिए गृहमंत्री से गुहार लगा सकती थीं लेकिन उन्‍हें ना राष्‍ट्रपति, ना प्रधानमंत्री और ना ही गृहमंत्री की याद आई, उन्हें यदि अपने पति के समर्थन में किसी की याद आई तो वे विपक्ष के नेता राहुल गांधी हैं,‍ जिनसे अपने पति के लिए संसद में बहस शुरू करने की गुजारिश की गई है।

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मलिक के खिलाफ मनगढ़ंत मामले?
मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की सहायक रह चुकी मुशाल हुसैन यह दावा करती हैं कि उनका पति जम्मू -कश्मीर में शांति कायम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। राहुल को लिखी चिट्ठी में उसने कहा है कि मलिक के खिलाफ मनगढ़ंत मामलों में उसके लिए मौत की सजा की मांग की जा रही है। वे राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कार्रवाई पर सवाल उठाती हैं और राहुल गांधी से आग्रह करती हैं कि उनके हित में वह संसद में अपने उच्च नैतिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करें और यासीन मलिक के केस पर एक चर्चा शुरू करें।

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अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल
यासीन मलिक की पत्नी ने कहा, “2 नवंबर से मलिक जेल में अमानवीय व्यवहार के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं, यह भूख हड़ताल उनके हेल्थ पर बुरा असर डालेगी और एक ऐसे व्यक्ति की जिंदगी को खतरे में डालेगी, जिसने सशस्त्र संघर्ष को त्यागकर अहिंसा की अवधारणा में यकीन करने का रास्ता चुना।” मुशाल का आरोप है कि 2019 से यासीन मलिक को ‘‘भाजपा सरकार द्वारा सभी अकल्पनीय तरीकों से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन पर 35 साल पुराने मामले में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मुकदमा चल रहा है और अब एनआईए द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मनगढ़ंत मामलों में सजा-ए-मौत की मांग की जा रही …।’’

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कमाल का साहस
अब दाद देनी होगी, आतंकियों और उनके परिजनों की, कमाल का साहस है। पहले आतंकवादी आम एवं खास लोगों की हत्‍या करेंगे, फिर वे और उनके अपने शांति की अपील, माफी की प्रार्थना और उसने जुड़े मसलों को जिम्‍मेदार लोगों से उठवाकर अपने पक्ष में माहौल बनाएंगे।

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यासीन के पापों की लंबी लिस्ट
वास्‍तव में आज यासीन मलिक के पापों की पूरी सूची देख लेना चाहिए, जब वह यह सब कर रहा था, तब उसे और उसके परिवारजनों को कोई मानवता याद नहीं आ रही थी? अब उसे एक मुद्दे के रूप में प्रस्‍तुत किया जा रहा है। इस बात के तो पुख्‍ता प्रमाण मौजूद हैं कि कैसे उसने भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की सनसनीखेज हत्या की थी। तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण किया था, जिसके कारण पांच खूंखार अपराधियों को रिहा करना पड़ गया और जिनके रिहा होने के बाद देश भर में आगे अन्‍य कई आतंकी घटनाएं घटीं, जिनमें कि इन आतंकियों के नाम सामने आते रहे, जिसमें कि कई सामान्‍य लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी ।

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1989 की बात
वस्‍तुत: बात 1989 की है, जब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी। उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद गृह मंत्री थे। श्रीनगर में तीन आतंकियों ने बस से रूबिया सईद को अगवा कर लिया था, इसके बाद आतंकियों की मांग मानते हुए पांच आतंकियों को रिहा किया गया था। इतना ही नहीं तो 2008 में मुंबई में 26/11 के हमले में भी इन छोड़े गए आतंकियों की साजिश रचने में अहम भूमिका का होना सामने आया। 1989 में कश्मीरी पंडित न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या करवाने का आरोप भी उसके माथे है।

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पाकिस्तान में ली थी आतंक की ट्रेनिंग
यासीन मलिक कश्मीर के उन चार आतंकियों में एक है, जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। इन चार आतंकियों को हाजी ग्रुप कहा जाता रहा है। इनमें हमीद शेख, अश्फाक मजीद वानी, यासीन मलिक और जावेद मीर शामिल थे। हमीद और अश्फाक दोनों ही मारे जा चुके हैं। यह इतिहास में दर्ज हो चुका है कि कैसे इस व्‍यक्‍ति यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को अस्‍सी के दशके के बाद से बरगलाते रहे हैं । इससे जुड़ी पूरी टीम ने कई दशकों तक चुन-चुन कर कश्मीरी हिंदुओं को मारा और उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया। इस मलिक ने 80 के दशक में ‘ताला पार्टी’ का गठन किया था जिसका काम ही था कि गैर मुसलमानों के प्रति संगठित हिंसा करना । जब 11 फरवरी 1984 को आतंकी मकबूल भट को फांसी दी गई, तब भी इसने अपनी ताला पार्टी के जरिए कश्‍मीर में भारत के विरोध में भयंकर अलगाव माहौल पैदा किया था, जिस पर कि इसे चार माह तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा, फिर रिहा होने के बाद 1986 में ताला पार्टी का नाम बदलकर इसने इस्लामिक स्टूडेंट लीग (आईएसएल) रख दिया था ।

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कई खतरनाक आतंकि सदस्य
यासीन मलिक इसका महासचिव था, यह वही संगठन है, जिसने कि कश्मीर की आजादी के नाम पर भारतीय सेना से छद्म और सामने की लड़ाई का रास्‍ता चुना । अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हामीद शेख जैसे आतंकी इसके सदस्य रहे। फिर ये 1988 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से जुड़ गया ।

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घाटी में फैला जबरदस्त आतंक
आज इसके अनेक प्रमण मौजूद हैं कि कैसे यासीन मलिक के इशारे पर इस संगठन ने घाटी में जबरदस्त आतंक फैलाया। युवाओं को बहकाकर उनसे हथियार उठवाए गए। 1987 के चुनाव के बाद कुछ समय के लिए यासीन मलिक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गया और वहां उसने आतंक की ट्रेनिंग ली । उसके बाद 1989 में वो वापस लौट आया और आकर कत्लेआम मचाने लगा था। जिसमें कि उसका बड़ा कांड 25 जनवरी 1990 को सामने आया, जब श्रीनगर में एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे वायुसेना के जवानों पर आतंकियों ने हमला कर दिया था, हमले में स्कवॉड्रन लीडर रवि खन्ना समेत चार जवान हुतात्‍मा हो गए थे और 40 लोग जख्मी हुए थे, मलिक पर इस हमले की साजिश का आरोप है। साल 2013 में यासीन मलिक ने लश्कर ए तैयबा चीफ हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में भूख हड़ताल की थी। यह भूख हड़ताल अफजल गुरु को फांसी देने के विरोध में की गई थी। वस्‍तुत: इसका दिल प‍ाकिस्‍तान के लिए कितना धड़कता है, वह उसके परिवारिक रिश्‍तों से पता चलता है, 2009 में यासीन मलिक ने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल हुसैन से पाकिस्‍तान में शादी की । मुशाल हुसैन का राजनीत‍िक जुड़ाव यह है कि उनकी मां रेहाना पाकिस्तानी मुस्लिम लीग की नेता रही हैं। ये वही मुस्‍लीम लीग है जो भारत विभाजन की गुनहगार है।

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सही पाए गए आरोप
यासीन मलिक पर पाकिस्तान से पैसे लेकर कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद बढ़ाने के आरोप लगने पर 19 मई 2022 को एनआईए कोर्ट ने इन्‍हें सही पाया और इसके लिए इसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराते पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई । इसके साथ ही यासीन मलिक पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (आतंकी फंडिंग), धारा 18 (आतंकी गतिविधि की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) सहित आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (राजद्रोह) के तहत केस दर्ज किया गया है । इस पर भी सबसे बड़ी बात यह है कि यासीन मलिक दिल्ली की अदालत में यूएपीए के तहत दर्ज ज्यादातर मामलों में अपने पर लगे आरोपों को मंजूर कर चुका है। अब उसके लिए उसकी पत्नी का यूं राहुल गांधी को पत्र लिखना क्‍या संकेत करता है, यह अब समझदारों के लिए समझनेवाली बात है।

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रहम की गुंजािश नहीं
जिस यासीन मलिक के हाथ कई निर्दोषों के खून से रंगे हों, उस पर रहम बिल्‍कुल नहीं किया जाना चाहिए। फिर भले ही जेल में वह भूख हड़ताल करे या अन्‍य कुछ । कायदे से तो ऐसे आतंकी को जितनी जल्‍द सजा-ए-मौत की सजा दी जाए, उतना ही अच्‍छा होगा, ताकि अन्‍य को भी यह सबक मिले कि आतंक कितना भी बड़ा क्‍यों न हो, उसका यही अंत है।

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