Maharashtra Assembly Elections: लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर संविधान की किताब हाथ में लेकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार का बिगुल फूंका है। इससे पहले लोकसभा चुनाव में संविधान के नाम पर, जाति के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश असफल हो गई थी। कांग्रेस पार्टी महज 99 सीटों पर सिमट गई थी। लेकिन कांग्रेस को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में भले ही वह हार गई, लेकिन महाराष्ट्र में संविधान के नाम पर मतदाताओं को बहका कर जीत जाएगी?
कांग्रेस के पास मुद्दों की कमी
महाराष्ट्र चुनाव में राहुल गांधी संविधान सम्मान सम्मेलन कर रहे हैं। लेकिन क्या संविधान खतरे में है? या फिर कांग्रेस का अस्तित्व खतरे में है? कांग्रेस के पास जाति और संविधान के अतिरिक्त कोई मुद्दा नहीं है। पार्टी नेता बार-बार इसी को मुद्दा बना रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रयोग हो जाता है असफल
हरियाणा मे राहुल गांधी का ‘जलेबी कार्ड’ असफल हो गया था। हरियाणा में हारने के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए हैं। चुनाव जीतने के लिए राहुल गांधी ने एक बार फिर संविधान की किताब हाथ में ले ली है। लेकिन राहुल गांधी बार-बार फेल होने के बाद ऐसा क्यों करते हैं?
राहुल का ‘पाखंड’
भाजपा ने इसे राहुल गांधी का पाखंड बताया है। भाजपा ने सवाल किया है कि राहुल गांधी संविधान की प्रति बांटकर क्या संदेश देना चाहते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की संविधान की प्रति का लाल रंग भी सियासी मुद्दा बन गया है। राहुल गांधी इस किताब को अपने साथ लेकर चलते हैं।
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भाजपा का पलटवार
भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है कि आखिर राहुल गांधी कहना क्या चाहते हैं। राहुल गांधी के लिए संविधान सिर्फ बहाना है, लाल किताब को बढ़ाना है ,मोहब्बत के नाम पर सिर्फ नफरत फैलाना है। भाजपा ने भी राहुल गांधी से पूछा कि कांग्रेस भारत के संविधान को नष्ट करना चाहती है । इसलिए डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के लिखे गए सभी कानून को संविधान से हटा दिया गया। यही कारण है कि राहुल गांधी ने अमेरिका में आरक्षण रद्द होने की भविष्यवाणी की थी।