Editorial: क्या महा विकास अघाड़ी को पुनः वसूली के लिए सत्ता की आवश्यकता है?

जस्टिस चांदीवाल ने कहा, "अनिल देशमुख और सचिन वाजे, देवेंद्र फडणवीस को फंसाने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही सचिन वाजे ने राजनीतिक नेताओं का नाम लेकर हमें कई बातें बताई थीं।

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– संपादकीय

जिस तरह चुनाव की सरगर्मियां चल रही हैं, जस्टिस चांदीवाल (Justice Chandiwal) के गुप्त विस्फोट ने महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) अभियान की हवा निकाल दी है। चांदीवाल के बयान से एक बार फिर पुष्टि हो गई है कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की गठबंधन सरकार महाराष्ट्र (Maharashtra) के इतिहास की सबसे भ्रष्ट (Corrupt), षड्यंत्रकारी (Conspirator) और हिंसक (Violent) सरकार थी। अनंत करमुसे पिटाई, सुशांत सिंह राजपूत, मनसुख हिरेन जैसे कई संदिग्ध और गंभीर मामले इस दौरान हुए। पालघर साधु हत्याकांड से दहल गया था महाराष्ट्र, दूसरा बड़ा और वीभत्स मामला था 100 करोड़ रुपये की वसूली…

जस्टिस चांदीवाल ने कहा, “अनिल देशमुख और सचिन वाजे, देवेंद्र फडणवीस को फंसाने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही सचिन वाजे ने राजनीतिक नेताओं का नाम लेकर हमें कई बातें बताई थीं। ठाणे डीसीपी भी इन सभी मामलों को देख रहे थे।” इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अघाड़ी के भविष्यवक्ता शरद पवार का नाम भी सामने आया है। दिलचस्प बात यह है कि परमबीर सिंह ने भी चांदीवाल के बयान की पुष्टि की है।

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परमबीर सिंह ने कहा, ”जस्टिस चांदीवाल सही हैं। उस वक्त ट्रांसफर केस और वसूली केस में डीसीपी लक्ष्मीकांत पाटिल सीधे तौर पर शामिल थे। साथ ही ये सब उद्धव ठाकरे और शरद पवार के इशारे पर किया गया था। उस वक्त के दौरान माविया सरकार, अनिल देशमुख पर लगातार परमबीर सिंह ने कहा, ”गवाहों पर लक्ष्मीकांत पाटिल द्वारा दबाव डाला जा रहा था। उन्होंने इस मामले में पूरा हस्तक्षेप किया था। मैंने चांदीवाल आयोग को बताया कि मेरे पास जो सबूत हैं वे संदेश हैं और अन्य अधिकारियों ने मुझे बताया था कि फिरौती कैसे मांगी गई थी। मैंने उद्धव ठाकरे को बताया जो उस समय मुख्यमंत्री थे। पुलिस अधिकारियों के तबादलों में भी हस्तक्षेप किया गया। मुझसे इसका सबूत नहीं मांगा गया। लेकिन मैंने वो सबूत सीबीआई और ईडी को दे दिए हैं।”

हालांकि, जमानत पर रिहा हुए अनिल देशमुख, देवेंद्र फडणवीस की मौज ले रहे थे। हालांकि चांदीवाल के साथ अनिल देशमुख के इंटरव्यू ने हलचल मचा दी है। चूंकि यह इंटरव्यू चुनाव के दौरान जारी किया गया था, इसलिए इसका असर चुनाव पर भी पड़ सकता है। इस पर अब रोहित पवार ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ”जस्टिस चांदीवाल आयोग के प्रमुख हैं। आयोग का काम तथ्यों की रिपोर्ट करना है, न कि निर्णय जारी करना या निर्णयों की घोषणा करना। अगर आयोग का मुखिया फैसले सुना रहा है तो हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए। यह सच है कि भाजपा ने वाजे मामले के जरिए पवार परिवार को फंसाने की कोशिश की है।” तो इस इंटरव्यू से फ्रंट लाइन में अस्थिरता पैदा हो गई है, लेकिन इतना तो सच है!

महा विकास अघाड़ी के नेता सत्ता में आने के लिए बेहद उत्सुक हैं। मेलोड्रामा क्योंकि चुनाव अधिकारियों ने सिर्फ सहानुभूति पाने के लिए उद्धव ठाकरे का बैग चेक किया। लेकिन ये मेलोड्रामा ठाकरे पर उल्टा पड़ गया। उनके चचेरे भाई मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी उद्धव का मजाक उड़ाया। लेकिन चांदीवाल का इंटरव्यू देखने के बाद आम लोगों के मन में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सरकार आम आदमी के विकास के लिए है। लेकिन उद्धव ठाकरे (महा विकास अघाड़ी) सरकार के दौरान ढाई साल के भीतर इतनी अस्थिरता फैल गई, कई गंभीर मामले हुए, 100 करोड़ की वसूली हुई। तो फिर जनता का सवाल है कि उन्हें दोबारा सत्ता क्यों चाहिए? उबरने के लिए? (Editorial)

स्वप्निल सावरकर

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