बीजेपी की बल्ले बल्ले, बाहर से आये कुछ हुए निठल्ले

महाराष्ट्र कांग्रेस के विरोधी पक्ष नेता राधा कृष्ण विखे पाटिल का बीजेपी में शामिल होना फायदेमंद साबित हुआ। उनके बेटे सुजय विखे पाटिल को बीजेपी ने लोक सभा का टिकट दिया और वो अहमदनगर से बीजेपी सांसद बन गए, जबकि खुद विखे पाटिल को फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया और विधान सभा चुनाव मे बीजेपी के टिकट से वह अब वर्तमान में विधायक हैं।

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2019 के लोक सभा और महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव से पहले बीजेपी में मेगा भर्ती जोरों से हुई। राज्य के कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया । उस वक्त माहौल कुछ ऐसा बन गया था कि कांग्रेस में भगदड़-सी मच गई थी इसके चलते मुम्बई सहित महाराष्ट्र के कई दिग्गज नेताओं ने बीजेपी में शामिल होकर यह बताने की कोशिश की थी कि कांग्रेस अब नेतृत्व विहीन हो गई है । कांग्रेस से बीजेपी में आये कुछ नेताओं के लिए यह लकी साबित हुआ, जबकि कुछ नेताओं के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ। हालांकि 2019 के आम चुनाव में केंद्र में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने कामयाब रही, लेकिन महाराष्ट्र विधान सभा मे गठबंधन बीजेपी और सेना की बहुमत की सरकार तो आई ,लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई खींचतान में बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई। इसका पछतावा बीजेपी को अभी तक है ।

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किसकी हुई बल्ले-बल्ले?
महाराष्ट्र कांग्रेस के विरोधी पक्ष नेता राधा कृष्ण विखे पाटिल का बीजेपी में शामिल होना फायदेमंद साबित हुआ। उनके बेटे सुजय विखे पाटिल को बीजेपी ने लोक सभा का टिकट दिया और वो अहमदनगर से बीजेपी सांसद बन गए, जबकि खुद विखे पाटिल को फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया और विधान सभा चुनाव मे बीजेपी के टिकट से वह अब वर्तमान में विधायक हैं। एनसीपी के कदावर नेता उदयन राजे भोसले एनसीपी को जय महाराष्ट्र कर बीजेपी में बड़े धूमधाम से शामिल हुए थे लेकिन वे लोकसभा चुनाव में एनसीपी वोट बैंक को बीजेपी में कन्वर्ट नही कर पाए और चुनाव हार गए लेकिन बाद में बीजेपी ने उन्हें राज्य सभा सीट देकर राज्यसभा सांसद बना दिया। ऐसा ही कुछ हाल संभाजी राजे छत्रपति का हुआ। ये भी लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन बीजेपी के कोटे से राज्य सभा सांसद बन गए। 

कौन हुए निठल्ले?
कांग्रेस और एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए अन्य नेता उतने भाग्यशाली नहीं रहे। कभी बीएमसी मे शक्तिशाली विरोधी पक्ष नेता रहे राजहंस सिंह बीजेपी में शामिल तो हो गए लेकिन बीजेपी-सेना के सीट शेयरिंग में इनको 2019 के विधानसभा के चुनाव में टिकट नहीं मिला पाया। इसके चलते राजहंस सिंह पैदल हो गए और बीजेपी ने बाद में उन्हें मुंबई में उपाध्यक्ष पद देकर खानापूर्ति की । कभी कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री रहे हर्षवर्धन पाटिल के लिए बीजेपी जॉइन करना घाटे का सौदा रहा । विधान सभा चुनाव में उनको बीजेपी ने विधायकी का टिकट तो दिया लेकिन पाटिल कांग्रेस के वोट बैंक को बीजेपी में कन्वर्ट नहीं कर पाए और चुनाव हार गए। वो फिलहाल पैदल हैं। अब बात करते हैं, कांग्रेस के उत्तर भारतीय नेता रमेश सिंह की। रमेश सिंह को बीजेपी ने टिकट तो दिया था लेकिन वह भी चुनाव हार गए और फिलहाल वो सिर्फ बीजेपी के सदस्य बनकर संतोष कर रहे हैं।

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