World Chess Championship 2024: सबसे काम उम्र के विश्व चेस चैंपियन बनें गुकेश, चीन के डिंग लिरेन को हराया

शतरंज विश्व चैम्पियनशिप की 14वीं और अंतिम बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए गुकेश ने मैराथन गेम में चीन के लीरेन को हराया।

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World Chess Championship 2024: भारत (India) के गुकेश डी (Gukesh D) ने इतिहास रच दिया है क्योंकि वह शतरंज (Chess) के इतिहास में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन (World Champion) बन गए हैं। भारतीय स्टार (Indian Star) ने फाइनल गेम में गत चैंपियन (Defending Champion) डिंग लिरेन (Ding Liren) को हराकर खिताब जीता। गुकेश विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज में विश्व चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।

शतरंज विश्व चैम्पियनशिप की 14वीं और अंतिम बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए गुकेश ने मैराथन गेम में चीन के लीरेन को हराया। यह गेम बराबरी की ओर बढ़ रहा था, जिससे यह मैच टाईब्रेकर में चला जाता, लेकिन भारतीय स्टार ने 14 गेम में ही खिताब अपने नाम कर लिया।

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55वें मूव पर डिफेंडिंग चैंपियन ने गलती की
मैच ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, लेकिन 55वें मूव पर डिफेंडिंग चैंपियन ने गलती की, जब उन्होंने अपना रूक f2 पर ले लिया। डिंग को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें आखिरकार हार माननी पड़ी। गुकेश की आंखों में आंसू थे और वह खुद को रोक नहीं पाए, क्योंकि वह शतरंज के विश्व चैंपियन बनने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।

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शुरुआती प्रतिक्रियाएं दीं
दोनों खिलाड़ियों ने खेल के बाद अपनी शुरुआती प्रतिक्रियाएं दीं। डिंग ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मुझे यह समझने में थोड़ा समय लगा कि मैंने गलती की है। मुझे लगता है कि मैंने इस साल अपना सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट खेला है। मैं इससे बेहतर खेल सकता था, लेकिन कल की किस्मत को देखते हुए, अंत में हारना एक उचित परिणाम है। मुझे कोई पछतावा नहीं है। धन्यवाद। मैं खेलना जारी रखूंगा।”

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गुकेश की प्रतिक्रिया
गुकेश ने भी मैच पर अपनी प्रतिक्रिया दी। “वास्तव में जब वह Rf2 खेल रहा था, तो मुझे इसका एहसास नहीं हुआ.. जब मुझे इसका एहसास हुआ, तो यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल था। हम सभी जानते हैं कि डिंग कौन है। वह कई वर्षों से इतिहास के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक है। उसे संघर्ष करते हुए देखना और यह देखना कि उसने कितने दबाव का सामना किया, और उसने जो संघर्ष किया… मेरे लिए वह एक वास्तविक विश्व चैंपियन है। उसने एक सच्चे चैंपियन की तरह लड़ाई लड़ी, और मुझे डिंग और उसकी टीम के लिए वास्तव में खेद है। मैं सबसे पहले अपने प्रतिद्वंद्वी को धन्यवाद देना चाहता हूँ – उसके बिना यह वैसा नहीं हो सकता था,” गुकेश ने कहा।

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6 या 7 साल की उम्र
गुकेश ने कहा कि वह बचपन से ही इस पल के बारे में सपना देख रहा था और अब वह अपने सपने को जी रहा है। उन्होंने कहा, “मैं 6 या 7 साल की उम्र से ही इसके बारे में सपना देख रहा हूँ और इस पल को जी रहा हूँ। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है – और उनमें से एक बनना है… मैं अपना सपना जी रहा हूँ। मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहता हूँ – उम्मीदवारों से लेकर यहाँ तक का यह पूरा सफ़र केवल भगवान के द्वारा ही संभव हो सका।”

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