Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा, विश्व में गुस्सा

इस साल अक्टूबर में, बांगलादेश सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर देशद्रोह का आरोप लगाया था। इसके अलावा, हिंदू संगठनों से जुड़े कई अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी कानूनी कार्रवाई की गई।

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-साखी गिरी

Bangladesh: बांगलादेश (Bangladesh) में हिंदूओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा (Violence against Hindus) को लेकर दुनियाभर में गहरी चिंता और विरोध देखा जा रहा है। हाल ही में, बांगलादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू धर्म के अनुयायी पर हुए हमलों ने एक नया मोड़ लिया।

जिससे न केवल बांगलादेश बल्कि दुनियाभर के देशों में इस मुद्दे को लेकर गुस्सा फैल गया। यह हिंसा महज एक धार्मिक संघर्ष (Religious conflict) नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन (Human rights violations) और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले (Attacks on religious freedom) का प्रतीक बन चुकी है।

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हिंदूओं के खिलाफ साजिश
बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार द्वारा लगातार अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से हिंदुओं, पर उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थन से कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी, इस्कॉन और उसके भक्तों को खुलेआम मौत की धमकी दे रहा है। इस संदर्भ में, बांग्लादेश इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने आरोप लगाया कि सरकार हिंदूओं को आपस में विभाजित करने की साजिश रच रही है, जिसके चलते हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को बढ़ावा मिल रहा है।

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चिन्मय प्रभु पर अत्याचार
इस साल अक्टूबर में, बांगलादेश सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर देशद्रोह का आरोप लगाया था। इसके अलावा, हिंदू संगठनों से जुड़े कई अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी कानूनी कार्रवाई की गई। उल्लेखनीय यह है कि चिन्मय प्रभु के साथ-साथ बांगलादेश में 19 अन्य हिंदू संगठनों के प्रमुखों और उनके समर्थकों के खिलाफ भी कई मामले दर्ज किए गए हैं।

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हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़े
बांगलादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति पहले भी दयनीय रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में हिंसा के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। पिछले महीने, बांगलादेश के कुछ इलाकों में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू मंदिरों पर हमले और मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाएं हुई। इन घटनाओं ने दुनिया भर में हिंदू समुदाय के प्रति बढ़ती नफरत और अत्याचार को उजागर किया।

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देशों में हुआ विरोध
बांगलादेशी हिंदुओं के समर्थन में जो वैश्विक प्रदर्शन हुए, वे इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक बन गए। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देशों में भी भारतीय और बांगलादेशी हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे। उनका एक ही संदेश था – “धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता को हर हाल में बरकरार रखना चाहिए।

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हिंदुओं की सुरक्षा के बारे में क्या
बता दें कि प्रदर्शनों में हिंदू समाज के लोग और मानवाधिकार कार्यकर्ता एकजुट होकर बांगलादेश सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बांगलादेश सरकार पर दबाव डालना था ताकि वह हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे और हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।

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बनाना होगा अंतर्राष्ट्रीय दबाव
देश के लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश सरकार इस समस्या का समाधान कर पाएगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा ताकि धार्मिक भेदभाव और हिंसा को खत्म किया जा सके। साथ ही भारत जैसे पड़ोसी देशों को भी इस मुद्दे पर आवाज उठानी होगी, ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव बने और बांग्लादेश सरकार को इस हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़े।

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हिंदुओं को रहना होगा एकजुट
बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ जो वैश्विक एकजुटता देखने को मिली, वह एक सकारात्मक संकेत है। यह हमें बताता है कि धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से इस मुद्दे को हल करना कितना महत्वपूर्ण है। अब वक्त आ गया है कि सभी देशों और धार्मिक समुदायों को इस समस्या से जूझने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकारों का सम्मान हो सके।

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