Bangladesh: हमने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया लेकिन अब हथियार प्रशिक्षण समय की मांग है। युवाओं को गीता, ज्ञानेश्वरी पढ़नी चाहिए, इससे प्रेरणा मिलती है। क्योंकि गीता कहती है कि अगर अन्याय हो तो हथियार उठा लेना चाहिए। इसलिए यदि किसी को अधर्म की लड़ाई लड़नी है तो शस्त्र सीखना जरूरी है। खारघर इस्कॉन के प्रमुख आचार्य सूरदासजी महाराज ने कहा कि भारत के महापुरुषों के विचारों को युवाओं के मन में बिठाना चाहिए। वह स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और राष्ट्रीय सुरक्षा सतर्कता मंच के सहयोग से स्मारक के मादाम कामा सभागार में ‘बांग्लादेश वर्तमान स्थिति और भविष्य’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में वीरमाता अनुराधा गोरे, स्मारक के कार्याध्यक्ष अध्यक्ष रणजीत सावरकर, स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे और कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर मुख्य रूप से उपस्थित थे।
बच्चों को सुनाएं वीरता की कहानियां
इस अवसर पर आचार्य सूरदासजी महाराज ने कहा कि भारतीयों को संस्कृति की रक्षा के लिए तैयार हो जाना चाहिए। अपने बच्चों को मोबाइल गेम्स, बॉलीवुड गाने सुनने के बजाय ऐतिहासिक कहानियों के बारे में बताएं।स्वतंत्रता के नायक सावरकर की भक्ति, उनके त्याग, उनकी वीरता को हमारे बच्चों तक पहुंचाया जाना चाहिए। साथ ही शारीरिक शिक्षा पर निर्भर न रहकर वैदिक शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।
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भारत विश्व गुरु था, है और रहेगा
इसी बीच आचार्य सूरदासजी महाराज ने अपने अनुभव से कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को व्यक्त किया।उन्होंने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों में कट्टरपंथियों द्वारा की गई तोड़फोड़ और गायों की हत्या के बारे में कड़वे अनुभव भी बताए। हम सब्र रखते हैं लेकिन सब्र का भी अंत होता है। उन्होंने बांग्लादेश में कट्टरपंथियों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि हम हथियार उठा सकते हैं। साथ ही संस्कृति से खिलवाड़ न करें। इस्कॉन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का पूरी तरह से विरोध कर रहा है। ऐसा कहा जाता है कि भले ही राक्षसों ने वहां उत्पात मचाया हो, लेकिन यह निश्चित है कि राक्षसों का विनाॉश हो जाएगा। इस मौके पर आचार्य ने कहा कि भारत विश्व गुरु था, है और रहेगा।