सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में मराठा आरक्षण को रद्द करने का फैसला सुना दिया है। इस कारण मराठा समुदाय में आक्रोश है। समुदाय का आरोप है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने न्यायालय में मराठा समुदाय का पक्ष मजबूती से नहीं रखा। भारतीय जनता पार्टी विधायक प्रसाद लाड ने कहा है कि अभी भी समय नहीं बीता है। मराठा समुदाय को न्याय दिलाने के लिए सरकार के पास एक और अवसर है।
राजनीतिक हित के लिए नहीं था मराठा आरक्षण
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उच्च न्यायालय में मराठा आरक्षण को बरकरार रखने में सफलता हासिल की थी। प्रसाद लाड ने कहा कि कुछ नेताओं के राजनीतिक हितों के कारण, सरकार द्वारा न्यायालय में इस मुद्दे पर ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया। लाड ने कहा, “हालांकि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला निराशाजनक है, लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है।”
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ये है सुझाव
प्रसाद लाड ने कहा कि मराठा आरक्षण पर विचार करने के लिए सरकार को फिर से एक आयोग का गठन करना चाहिए। सरकार को न्यायालय द्वारा बताए गए सभी मुद्दों की फिर से जांच करनी चाहिए और उन पर विचार करना चाहिए। उसके बाद एक नई रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। इस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं। लेकिन प्रसाद लाड को भरोसा है कि इससे सकारात्मक रास्ता निकलेगा।
मुख्यमंत्री से अनुरोध
इसके अलावा नौकरी में मराठा समुदाय के लिए 12-13 प्रतिशत स्थान आरक्षित होना चाहिए। प्रसाद लाड ने मांग की है कि आरक्षण के फैसले के बाद ही रिक्तियां भरी जानी चाहिए। इस बात का अध्ययन पर किया जाना चाहिए कि कैसे अन्नसाहेब महामंडल और सारथी संस्था के माध्यम से मराठा समुदाय की मदद की जाए। लाड ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अनुरोध किया है कि सरकार को सुपर न्यूमररी कोटा पर भी विचार करना चाहिए।